1) https://youtu.be/ClO8XAEL8dc?si=9mvPTPtaYgAGdCEW

पेंगे जो के रिस्क को बेहद कम कर दिया आपको पता है इनकी गाड़ियां इतनी रिलायबल है कि प्लांस में जानकारी इकट्ठा करने लगे और फैसला किए कि फुल टाइम एक मोटराइज्ड टेक्सटाइल मशीन बनाने पर काम करेंगे हालांकि उनके पिता इसके फेवर में नहीं थे फिर भी साकची ने लकड़ी के कई लूम बनाए लेकिन कोई भी लूम काम नहीं किया फिर साल 1890 में साकची को टोक्यो में हो रहे एक मशीन एग्जिबिशन में जाने का मौका मिला वहां देश-विदेश की तमाम मशीनें देखकर वह हैरान हो गए और उन्हीं मशीनों के फंक्शंस को बारीकी से समझकर एक वुडन हैंडलूम बनाए और उस समय उनकी उम्र सिर्फ 24 साल की थी यह हैंडलूम काम तो कर गई लेकिन इसमें काफी कमियां थी जिन्हें दूर करने के लिए साकची ने सिक्स हैंडलूम के साथ एक छोटी सी टेक्सटाइल फैक्ट्री की शुरुआत की ताकि आगे के रिसर्च के लिए पैसों का इंतजाम किया जा सके साथ ही अपने हैंडलूम के प्रमोशन और सेल्स के लिए टो शोन नाम से एक कंपनी भी शुरू किए कुछ पैसे कमाए और अपने हैंडलूम को इंप्रूव करते गए फिर साल आया काफी कम कीमत में बेहतरीन कपड़े बनाने वाली इस मशीन ने mits.ac.in पर फंसने पर प्रिंटर का रुकना भी इसी का एक एग्जांपल है हैंडलूम की दूसरी बड़ी प्रॉब्लम थी कि उसमें धागा खत्म होने पर मशीन रोककर शटल चेंज करना पड़ता था ऑटोमेटिक शटल चेंजिंग मैकेनिज्म लाकर साकची ने इस प्रॉब्लम को भी दूर कर दिया उसके बाद वह सर्कुलर पावर लूम के साथ कई और मशीनस का भी इन्वेंशन किए लेकिन साल 1910 में जापान में आई इकोनॉमिक मंदी ने उन्हें नौकरी छोड़ने पर मजबूर कर दिया साकची के पास टाइम था कुछ नया एक्सप्लोर करने का इसलिए उन्होंने यूनाइटेड स्टेट्स और यूरोप का एक टूर प्लान किया वहां की बड़ी-बड़ी फैक्ट्रीज और प्रोडक्शन का स्केल देखकर वह हैरान हो गए लेकिन सबसे ज्यादा इंप्रेस हुए वहां की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री से खैर वह जापान वापस लौटकर अपने बेटे की चरो के साथ मिलकर दिया और बेटे किही चिरो से बोले कि इस पैसे का इस्तेमाल जापान की अपनी ऑटोमोबाइल कंपनी बनाने में करना और दोस्तों अब शुरुआत होने वाली थी जापान में ऑटोमोबाइल के एक नए युग की कि चरो की उम्र लगभग 36 साल की थी वह ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के फ्यूचर को अच्छी तरह समझते थे लेकिन एक नए सेक्टर में एंटर करने से पहले वह अमेरिका गए और गाड़ियों के प्रोडक्शन को देखकर उन्हें थोड़ा कॉन्फिडेंस आया वापस आकर वह अपनी टेक्सटाइल कंपनी के अंडर ही एक ऑटोमोटिव डिवीजन की शुरुआत किए और 5 साल की बड़ी मेहनत के बाद साल 1935 में अपनी एक ट्रक जीवन और 1936 में अपनी फर्स्ट पैसेंजर कार मॉडल एए को मार्केट में उतार दिए इन गाड़ियों को से काफी सस्ती थी दोस्तों जापान एक छोटा सा देश है लेकिन कई वार्स और नेचुरल डिजास्टर्स को झेलने के बाद भी आज जिस मुकाम पर है वह दुनिया के लिए एक इंस्पिरेशन है अगले 10 सालों तक सिक्योर करना चाहते हैं तो जरूरत होगी एक डी मैट अकाउंट की जो आमतौर पर हम ऐसे ब्रोकर के साथ ओपन करना पसंद करेंगे जहां पर अकाउंट ओपनिंग बिल्कुल फ्री होता है बट इस केस में हम अपने इन्वेस्टमेंट या फिर ट्रेड्स पर बहुत सारा ब्रोकरेज पे कर रहे होंगे लेकिन अगर हम एम स्टॉक बाय मेराई एसेट के साथ अपना डीमेट अकाउंट ओपन करते हैं तो डिलीवरी इंट्राडे फ्यूचर एंड ऑप्शन म्यूचुअल फंड्स और आईपीओ जैसे सभी सेगमेंट के अंदर जीरो ब्रोकरेज का फायदा उठा सकते हैं और इस रो ब्रोकरेज फॉर लाइफ अक्रॉस ऑल प्रोडक्ट्स का फायदा मिलता है सिर्फ 999 के प्लान में और इसके अलावा एडिशनल 999 का पेमेंट करके आप लाइफ टाइम एएमसी चार्जेस से भी छुटकारा पा सकते हैं एम स्टॉक के साथ आपको वन ऑफ द लोवेस्ट डेली इंटरेस्ट रेट यानी सिर्फ 6.99 पर मार्जिन ट्रेडिंग फैसिलिटी भी मिलती है साथ ही वन क्लिक ऑर्डर एग्जीक्यूशन वन क्लिक ऑर्डर प्लेसमेंट और वॉइस सर्च से अपने फेवरेट स्टॉक को खोजने जैसे कई और बेहतरीन फीचर्स तो यहां आपको मिली जाते हैं मेराई एसेट 25 इयर्स ओल्ड एक फाइनेंस कंपनी है जो 16 कंट्रीज में अपनी बेहतर न सर्विसेस के लिए जानी जाती है और एम स्टॉक पर हर रोज 49 करोड़ ट्रेड्स 1300 करोड़ का एमटीएफ बुक और 1 मिलियन से भी ज्यादा यूजर्स इसके रिलायबिलिटी को दिखाते हैं तो फिर देर किस बात की एम स्टॉक के साथ अभी अपना डीमेट अकाउंट ओपन करिए और अपने ट्रेडिंग एंड इन्वेस्टमेंट जर्नी की शुरुआत करिए अधिक जानकारी आपको डिस्क्रिप्शन में दिए लिंक से मिल जाएगा चलिए कहानी पर वापस लौटते हैं उनके ज्यादातर प्रोडक्शन यूनिट्स बंद करके वर्कर्स को भी निकाल दिया गया था लेकिन उसी दौरान 1950 में कोरियन वॉर शुरू हो गया और बैटल ग्राउंड से नजदीक होने की वजह से अमेरिका ने को क्राउन के नाम से मार्केट में उतार दिए लेकिन प्रॉब्लम यह थी कि बर्बाद हो चुके जापान में ना तो लोगों के पास पैसे थे और ना ही रोड की कंडीशन अच्छी थी इसलिए में बुरी तरह से फ्लॉप हो गई क्योंकि अमेरिकंस को यह कार ओवर प्राइड और अंडर पावर लगी थी तमाम कंपनीज को एक्वायर करना शुरू कर दिया सबसे पहले उसने दो जैपनीज कंपनी हा मोटर्स और डाई हसू में स्टेक लिए जो आज करने लगे लेकिन जब भी लग्जरी कार्स की बात होती थी तो लोग है और दोस्तों अगर आप स्पोर्ट्स कार में दिलचस्पी रखते हैं तो सुप्र के बारे में आप जरूर जानते होंगे दरअसल सुप्र भी 1978 में ही लॉन्च हो गई थी और आज इसकी फिफ्थ जनरेशन मार्केट में है इस तरह अगर देखा जाए तो 90 आते-आते के भीतर ही को टक्कर दे सके और उस गैप को फिल करने के लिए साल 2010 में toyota's को लॉन्च किया गया लेकिन वह भी कुछ कमाल नहीं कर पाई उसी दौरान 2017 में है उसके हिसाब से इंडिया में उनकी सेल्स काफी कम है और वजह यह है कि fortune9 की मशीन को परफेक्ट बनाने में अपनी पूरी जिंदगी लगा दी वह छोटे से छोटे इश्यूज के रूट कॉज को जानने के लिए 5w का कांसेप्ट इस्तेमाल करते थे साकची अमेरिका के टूर से वापस आए तब वह समझ गए थे कि अमेरिका अपने पैसे और स्किल्ड मैन पावर की वजह से इतने लार्ज स्केल पर प्रोडक्शन कर पाता है लेकिन वर्ल्ड वार से बर्बाद जापान के पास ना तो पैसा था और ना ही मैन पावर लेकिन फिर भी आज toyota's ने इसी प्रोसेस को फॉलो करती है दरअसल पहले कंपनीज फ्यूचर डिमांड के प्रेडिक्शन के हिसाब से कार्स का प्रोडक्शन करके स्टॉक मेंटेन करती थी जिसमें एक्स्ट्रा स्टोरेज स्पेस पार्ट्स रिसोर्सेस और फंड की जरूरत होती थी लेकिन अगर वह गाड़ी मार्केट में नहीं चली तो उनका सारा स्टॉक बर्बाद हो जाता था लेकिन जस्ट इन टाइम मॉडल में ऑर्डर मिलने के बाद सिर्फ उतनी ही गाड़ियों का प्रोडक्शन किया जाता है लेकिन सप्लाई चेन का पूरा सिस्टम इतना एफिशिएंट होता है कि डिलीवरी टाइम काफी कम हो जाता है कहने का मतलब यह है कि वाली कंपनी नहीं है उनका अपना एक प्रोसेस है और वह अपने क्वालिटी स्टैंडर्ड को फॉलो करते हैं लेकिन कोविड के बाद सोचकर न कार्स पर ज्यादा है पिछले कई सालों से वह हर साल 1 करोड़ गाड़ियां बेचकर सेल्स के मामले में पूरी दुनिया में नंबर वन पर है अभी toyota.in lex526 माके सबजेट टू मार्केट रि रीड ल द रिलेटेड डॉक्यूमेंट केयरफुली बिफोर इन्वेस्टिंग थैंक्स फॉर वाचिंग

2) https://youtu.be/rd4Q2ThfQuI?si=96upBstpsrddMkIM

3) https://youtu.be/66UIIlA9VUY?si=aNYF_Tm4jQnofuVz

4) https://youtu.be/WI7cm5L48KU?si=e0XxWxK1wXVXi_y2

5) https://youtu.be/p7Q1-vJ56vU?si=a8j22HGZh4IrxFFS

6) https://youtu.be/2d5B9mLC8k0?si=BElPNnJSJmtc5H0S

7) https://youtu.be/jgOD-cinMOc?si=ByiA0Y3crkg5u22u

8) https://youtu.be/zOcWyuMc3hE?si=BqZxZYfin3GJqLYe

9) https://youtu.be/rd4Q2ThfQuI?si=XcY9JoaWVDgAUpop

जीरोधा नितिन कामत और निखिल कामत यह दो नाम आज इंडियन स्टार्टअप्स के लिए एक इंस्पिरेशन है इसलिए नहीं कि यह इंडिया की मोस्ट प्रॉफिटेबल स्टार्टअप कंपनीज में से एक है बल्कि इसलिए कि जिस फैमिली बैकग्राउंड से ये आते हैं वहां जॉब के अलावा कुछ और सोचा ही नहीं जाता लेकिन यह दो भाई जो सिर्फ 8000 के लिए रात भर एक कॉल सेंटर में काम करते थे आज 0000 करोड़ की एक कंपनी के मालिक हैं और यह कहानी बहुत पुरानी नहीं है दोस्तों बात है साल 2010 की जब तमाम स्टार्टअप्स इन्वेस्टर से पैसे उठाकर और करोड़ों रुपए मार्केटिंग में लगाकर भी आज बैंकर पट हो गए वहीं जीरोधा ने ना इन्वेस्टर से पैसे लिए ना मार्केटिंग में पैसे लगाए जेब भी खाली था लेकिन आज हर साल 2000 करोड़ से भी ज्यादा का प्रॉफिट कमाते हैं तो चलिए आज की वीडियो में हम जीरोधा कंपनी की इंस्पायरिंग स्टोरी के साथ ही उनकी बिजनेस स्ट्रेटेजी और फ्यूचर प्लांस को डिटेल में जानते हैं कहानी की शुरुआत होती है कर्नाटका के एक मिडिल क्लास फैमिली से जब केनरा बैंक में काम करने वाले मिस्टर यू आर कामत के घर नितिन कामत का जन्म होता है साल था 1979 पिता की जॉब ऐसी थी कि पूरा परिवार एक शहर से दूसरे शहर घूमता रहा लेकिन जैसे-जैसे निखिल बड़े हुए उनके पिता को लगा कि अब उन्हें कहीं ना कहीं सेटल होना जरूरी है क्योंकि नितिन के बाद साल 1986 में उनके छोटे भाई निखिल कामथ का भी जन्म हो गया था और एक आम इंडियन पेरेंट्स की तरह वह भी अपने बच्चों को अच्छी नौकरी करते हुए देखना चाहते थे और इन्हीं सब बातों को सोचकर साल 1986 में वोह बैंगलोर में सेटल हो गए नितिन की एज लगभग 17 इयर्स की हो गई थी लेकिन पढ़ाई में उनकी दिलचस्पी ना के बराबर थी और उसकी एक सबसे बड़ी वजह थी उनकी फ्रेंड सर्किल क्योंकि उनका उठना बैठना मारवाड़ी दोस्तों के साथ था जो हर वक्त धंधे और पैसे की बात करते थे और इसका असर यह हुआ कि नितिन को लगने लगा कि पढ़ लिखकर लोग सिर्फ नौकर ही बनते हैं और अगर नौकरी देने वाला बनना है तो कुछ अलग रास्ता चुनना होगा और वह रास्ता उन्होंने चुना ट्रेडिंग का शायद एक गलतफहमी के साथ कि यह पैसा कमाने का सबसे आसान तरीका है उम्र सिर्फ 17 साल थी इसलिए मां के नाम अकाउंट ओपन किए और ट्रेडिंग करना शुरू कर दिए साथ में वह पढ़ाई भी करते रहे लेकिन ध्यान हमेशा अर्निंग्स पे ही रहा ट्रेडिंग से उन्हें अच्छा खासा इनकम होने लगा इसलिए धीरे-धीरे अपनी सेविंग्स के सारे पैसे वह मार्केट में लगाते गए और हुआ वही जो 95 पर ट्रेडर्स के साथ होता है साल 20012 के मार्केट क्रैश के दौरान उनका ₹ लाख डूब गया लेकिन ट्रेडिंग का ऐसा नशा उनके ऊपर सवार था कि अपने दोस्तों से पैसे उधार लेकर मार्केट में लगाना शुरू कर दिए फिर भी प्रॉफिट नसीब नहीं हुआ लेकिन इस दौरान स्टॉक मार्केट की बारीकियां उन्हें अच्छी तरह समझ आने लगी नितिन का ट्रेडिंग के लिए जो पैशन था उसे उनके पेरेंट्स समझते थे इसलिए उनकी तरफ से कोई रोक टोक नहीं था हालांकि इसी दौरान नितिन ने बैंगलोर के एक इंजीनियरिंग कॉलेज से अपना ग्रेजुएशन भी कंप्लीट कर लिया लेकिन अब प्रॉब्लम यह थी कि उनके पास अपने खर्च के लिए भी पैसे नहीं बचे थे और अब जॉब करना उनकी मजबूरी बन गई फिर नितिन ने फैसला किया कि वो नाइट शिफ्ट में जॉब करेंगे ताकि दिन में उन्हें ट्रेडिंग करने का मौका मिले और सिर्फ ₹ पर मंथ की सैलरी पर वो एक कॉल सेंटर में काम करने लगे दूसरी तरफ उनके छोटे भाई निखिल कामथ उनसे भी दो कदम आगे थे वे तो 10थ में ही पढ़ाई छोड़कर कॉल सेंटर में जॉब करने लगे थे लेकिन उनके पिता को निखिल के ऊपर इतना भरोसा था कि अपनी पूरी सेविंग्स उन्हें ही मैनेज करने के लिए दे दिए साथ ही निखिल अपने बॉस को भी कन्वेंस करके उनका भी फंड मैनेज करने लगे थे इस तरह 18 इयर्स की एज में ही निखिल एक छोटा-मोटा पोर्टफोलियो मैनेज कर रहे थे फिर साल आया 2004 जब कामथ ब्रदर्स की जिंदगी में कुछ ऐसे इंसिडेंट हुए जिससे उनकी जिंदगी का रुख बदलने लगा क्योंकि दोनों भाइयों का एक ही पैशन था स्टॉक मार्केट और ट्रेडिंग का भी उन्हें अच्छा खासा एक्सपीरियंस हो चुका था इसलिए वह कॉल सेंटर की जॉब छोड़कर साथ आए और उसी दौरान एक रिच अमेरिकन को उनका इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो इतना इंप्रेसिव लगा कि फौरन ₹2500000 का चेक देकर उन्हें अपना फंड मैनेज करने का काम दे दिया और इसी ने कामथ ब्रदर्स को मोटिवेट किया एक फंड मैनेजमेंट की कंपनी कामथ एसोसिएट्स की शुरुआत करने के लिए लेकिन उस समय प्रॉब्लम यह थी कि कोई भी ऐसा ट्रेडिंग प्लेटफार्म मौजूद नहीं था जहां वो स्मूथली डिफरेंट अकाउंट्स में स्विच कर पाए उन्हें फील हुआ कि स्टॉक मार्केट में काम करना किसी कंपनी के शेयर्स को बाय या सेल करना एक आम इंसान के लिए काफी कॉम्प्लिकेटेड है चीजों को और बेहतर तरीके से समझने के लिए वह साल 2006 में reliance1 जब मार्केट में कोहराम मच गया लाखों लोग अपना पूरा इन्वेस्टमेंट गवा बैठे और उस अप्स एंड डाउंस ने भी कामत ब्रदर्स को बहुत कुछ सिखाया अब समय आ गया था 2010 का लेकिन दोनों भाई सिर्फ क्लाइंट्स के फंड्स को मैनेज करके के खुश नहीं थे वह इस इंडस्ट्री को ही बदलना चाहते थे इसलिए नितिन और निखिल कामत ने एक ब्रोकर बनने का फैसला लिया अब जरूरत थी फंड्स की जिसे वह वीसी फंडिंग के जरिए अरेंज करना चाहते थे लेकिन 2008 के मार्केट क्रैश के तुरंत बाद कोई भी वीसीज एक ऑनलाइन ब्रोकरेज फर्म में पैसे नहीं लगाना चाहती थी इसलिए दोनों भाइयों ने खुद की सेविंग से ही कंपनी शुरू करने का फैसला लिया और इस तरह 15 अगस्त 2010 को इंडिया की पहली डिस्काउंट ब्रोकरेज फर्म जीरोधा की शुरुआत हुई और जीरोधा का मतलब है जीरो प्लस रोधानम नो बैरियर्स और दोस्तों ऐसी ही स्ट्रगलिंग स्टोरी है ट की जो एक इंश्योरेंस एडवाइजरी प्लेटफार्म है और फिनशॉट्स के फाउंडर्स ने इसे शुरू किया है उनके पोटेंशियल को देखकर जीरोधा ने भी इस कंपनी में इन्वेस्ट किया है आज मेडिकल इंफ्लेशन की रफ्तार हमारी अर्निंग से कहीं ज्यादा है और एक छोटी सी मेडिकल इमरजेंसी हमारी पूरी सेविंग्स को ही खत्म कर सकता है लेकिन आज अपने लिए एक राइट इंश्योरेंस पॉलिसी सेलेक्ट करना भी बहुत ही मुश्किल काम है मैं आपके लिए एक बहुत ही बढ़िया सोल्यूशन लेकर आया हूं डिप्लो जिसने इंश्योरेंस में इन्वेस्ट करने के प्रोसेस को काफी आसान बना दिया है हेल्थ इंश्योरेंस हो या टर्म इंश्योरेंस उनकी क्लियर और अनवाइज एडवाइस आपकी जरूरत के हिसाब से आपको पॉलिसी सेलेक्ट करने में हेल्प करती है और यह एडवाइस क्लेम सेटलमेंट रेशियो वॉल्यूम ऑफ कंप्लेंट्स और अमाउंट सेटलमेंट रेशियो यह सब कुछ प्रॉपर चेक करके दी जाती है ट सभी लीडिंग इंश्योरेंस कंपनीज के प्लांस कंपेयर करके उन प्लांस को सजेस्ट करता है जो आपकी नीड्स को परफेक्टली मैच करता हो और यही नहीं आप इसके थ्रू अपने इंश्योरेंस प्रोवाइडर से एक्स्ट्रा फीचर्स की भी डिमांड कर सकते हैं जैसे कि नो क्लेम बोनस फ्री हेल्थ चेक अप्स एंड फॉर अल्टरनेटिव ट्रीटमेंट्स साथ ही वेबसाइट पर अवेलेबल एजुकेशनल टूल्स इंश्योरेंस के कॉम्प्लेक्टेड स्पैम फ्री है यानी कि एजेंट्स के कॉल्स और अननेसेसरी मैसेजेस का भी कोई टेंशन नहीं और सबसे अच्छी बात यह है कि टो की टीम डॉक्यूमेंटेशन और क्लेम सेटलमेंट के समय भी आपकी पूरी मदद करेगी इसलिए अगर आप एक स्पैम फ्री प्लेटफॉर्म के जरिए इंश्योरेंस में इन्वेस्ट करना चाहते हैं तो डिस्क्रिप्शन में दिए लिंक से एक फ्री कॉल या चैट जरूर से ड्यूल करिए जीरोधा ने एक लेटेस्ट टेक्नोलॉजी वाली यूजर फ्रेंडली एंड इजी टू यूज ट्रेडिंग प्लेटफार्म को लॉन्च कर दिया दरअसल शुरुआती दिनों में डे ट्रेडर्स को ही टारगेट किया गया क्योंकि डिलीवरी में उनका कुछ खास इंटरेस्ट नहीं था लेकिन उनके शुरुआती दिन बहुत मुश्किल थे कोई बाहरी फंडिंग नहीं थी और स्टाफ की भी कमी थी इसलिए मार्केटिंग कैंपेन का तो सवाल ही नहीं उठता फिर मजबूरी में उन्हें रास्ता चुनना पड़ा से आए क्योंकि ट्रेडर्स को उनके प्लेटफार्म पर स्विच करने के लिए राजी करना सबसे बड़ी प्रॉब्लम थी और उनका दूसरा सबसे बड़ा चैलेंज था टेक्निकल इशू क्योंकि एज ए टेक्नोलॉजी ड्रिवन प्लेटफॉर्म जरोदा को यह इंश्योर करना था कि उनका ट्रेडिंग सिस्टम रोबट सिक्योर्ड और लार्ज वॉल्यूम ऑफ ट्रांजैक्शंस को हैंडल करने में कैपेबल हो और कोई भी डाउन टाइम या ग्लिच का मतलब अपने क्लाइंट्स का भरोसा खो देना और जानते हैं दोस्तों कई बार ऐसा हुआ कि सिस्टम क्रैश हो गया और इतना पैनिक क्रिएट हो गया कि कामद ब्रदर्स की कई रातें बिना नींद के बीत गई उनकी हिम्मत कई बार जवाब देनेल लगी क्योंकि एस्टेब्लिश प्लेयर्स के सामने उनकी कोई हैसियत ही नहीं थी और सबसे बड़ी चुनौती थी पैसों की जबकि वह उधार के पैसों पर कंपनी नहीं चलाना चाहते थे इसलिए वह एक-एक रुपए के खर्च पर नजर रखते थे और कोई भी स्टेप काफी सोच समझकर उठाते थे दोनों भाई दिन रात काम करते रहे और जब एक बार चीजें स्ट्रीम लाइन हुई तो उन्होंने अपनी स्ट्रेटेजी को अमल मिलाना शुरू किया उस समय स्टॉक ब्रोकर ट्रेड को एग्जीक्यूट करने के लिए काफी ज्यादा परसेंटेज चार्ज करते थे लेकिन जीरोधा के दिया लेकिन ज्यादातर पोटेंशियल क्लाइंट्स को ऐसा लगता था कि यह पॉसिबल ही नहीं है और इसमें कुछ ना कुछ हिडन चार्जेज जरूर होगा एक फुल ब्रोकर की तरह रिसर्च सर्विस का ना होना और सेल बाई का रिकमेंडेशन भी ना देना जरोदा की रिलायबिलिटी पर एक सवाल था रोदा को चलाने में कामत ब्रदर्स के लिए हर तरह के चैलेंजेबल धा ने शुरुआत से ही ग्रोथ से ज्यादा प्रॉफिट के लिए काम किया उन्होंने फालतू का एक्सपेंशन नहीं किया ऑफिस और लग्जरी के ऊपर पैसे बर्बाद नहीं किए और आपको पता है रोदा के 90 पर एंप्लॉयज कोविड के पहले से ही घर से काम करते हैं और आज भी उनका कोई भी ऑफलाइन ब्रांच नहीं है उनका फोकस होता है कस्टमर्स को लो कॉस्ट पे हाई वैल्यू डिलीवर करने का और अच्छी सर्विस देकर वो वॉल्यूम में प्ले करना चाहते हैं जहां उनके कंपटीसन कैपिटल फंड्स के लिए परेशान रहते थे जरोदा ने खुद अपने फंड से कंपनी को चलाया और आज तक उसने कभी भी किसी से कोई फंड नहीं लिया इसीलिए कोई भी बोल्ड डिसीजन लेने में उन्हें किसी की इजाजत लेने की जरूरत नहीं पड़ी और ऐसे ही एक बोल्ड डिसीजन ने कंपनी की किस्मत को पलट दिया बात है साल 2015 की 5 साल बीत चुके थे और उस समय तक जीरोधा सिर्फ एक्टिव डे ट्रेडर्स को ही टारगेट करती थी लेकिन उसका नुकसान यह था कि ग्रोथ की रफ्तार काफी धीमी थी लेकिन कामत ब्रदर्स के एक मास्टर स्ट्रोक से कस्टमर्स का सुनामी आ गया और व मास्टर स्ट्रोक था जीरो ब्रोकरेज जरोदा ने इक्विटी डिलीवरी के लिए जीरो ब्रोकरेज का ऑफर दिया और कस्टमर्स की उनके प्लेटफार्म पर स्विच करने की होड़ लग गई देखते ही देखते उस समय की मार्केट लीडर आईआईआई सिक्योरिटीज दूसरे पायदान पर शिफ्ट हो गई और सिर्फ 2015 से लेकर 2020 तक के पा सालों में जिरो का कस्टमर बेस 30000 अकाउंट से 14 लाख अकाउंट तक पहुंच गया लेकिन 2015 का यह बदलाव सुनामी का पहला फेज था असली खेल तो अब शुरू होने वाला था समय था कोविड का लोग घरों में कैद थे और हाथ में था मोबाइल वो भी सबकी पहली पसंद बनी जीरोधा और देखते ही देखते उनका यूजर बेस 1 करोड़ के भी आंकड़े को पार कर गया उनके नए क्लाइंट्स में सबसे ज्यादा संख्या यूथ की थी जरोदा की अगली स्ट्रेटजी ने काम किया क्योंकि जरोदा ने अपने कस्टमर्स को बेस्ट ट्रेडिंग एक्सपीरियंस देने के लिए हमेशा इनोवेशन किए और उनका फ्लैगशिप प्लेटफार्म काइट लोगों में खूब पॉपुलर हो गया दोस्तों जहां इंडिया की मैक्सिमम स्टार्टअप्स या तो बैंकर पट हो गई या फिर अपने सर्वाइवल के लिए स्ट्रगल कर रही है वहीं जीरोधा इंडिया के कुछ गिने-चुने प्रॉफिटेबल स्टार्टअप्स में शुमार है और इसने आईसीआई आई एडीएफसी मोतीलाल ओसवाल और शेर खान जैसे दिग्गजों को भी पीछे छोड़ा है कामत ब्रदर्स ने जीरोधा के अलावा साल 2014 में 50 करोड़ के इनिशियल फंड के साथ रेन मैटर की शुरुआत की थी जो स्टार्टअप्स को सपोर्ट करने के लिए फंड प्रोवाइड करते हैं साल 2019 में ट्रू बीकन और 2023 में जीरोधा फंड हाउस की भी शुरुआत की गई जो इन्वेस्टमेंट और फंड मैनेजमेंट का काम करती है तो दोस्तों उम्मीद है कि जीरोधा कंपनी और कामत ब्रदर्स के बारे में आपको कुछ नई जानकारी मिली होगी थैंक्स फॉर वाचिंग

10) https://youtu.be/5pZ7TERRvv4?si=rb_jg3kiKOV9s2tu

दोस्तों आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हर कोई परेशान है कोई अपने लिए तो कोई अपनों के लिए लेकिन इस अनसर्टेन लाइफ में कल क्या हो जाए किसी को नहीं पता और एक इमरजेंसी के केस में चाहे वो हेल्थ से रिलेटेड हो या फिर कार ट्रेवल या हमारे मोबाइल फोन से ही रिलेटेड क्यों ना हो सबसे पहले ख्याल आता है इंश्योरेंस का हालांकि मार्केट में तमाम ऐसी कंपनीज हैं जो इंश्योरेंस प्रोवाइड करती हैं लेकिन उसके इंपोर्टेंस को समझने के बावजूद भी लोग दूर भागते हैं और इसकी तीन मेन वजह है कंफ्यूजन लैक ऑफ नॉलेज और मिस सेलिंग इस प्रॉब्लम को महसूस किया तीन आईआईटीयंस ने जिनके दिमाग में आए एक छोटे से आईडिया ने पॉलिसी बाजार जैसा सक्सेसफुल यूनिकॉर्न खड़ा कर दिया और वह आईडिया था लोगों को एक ऐसा ट्रांसपेरेंट प्लेटफॉर्म अवेलेबल कराने का जहां पर वह अलग-अलग कंपनीज के प्लान को चेक करके उसे कंपेयर करके अपनी जरूरत का इंश्योरेंस खरीद सकें आज की वीडियो में हम पॉलिसी बाजार की पूरी जर्नी को डिटेल में जानने वाले हैं आखिर उनकी अर्निंग कैसे होती है और उसने ऐसी क्या स्ट्रेटजी अपनाई कि सिर्फ 15 साल में ही अपने सेगमेंट के 90 पर से भी ज्यादा मार्केट पर कब्जा कर लिया पॉलिसी बाजार की कहानी शुरू होती है साल 2008 में लेकिन इसके शुरू होने के पीछे की वजह काफी इंटरेस्टिंग है दरअसल उस समय इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदना आज की तरह आसान नहीं था मोबाइल और इंटरनेट की पहुंच भी काफी कम लोगों तक थी इसलिए इंश्योरेंस कंपनी अपनी पॉलिसी एजेंट्स के जरिए बेचा करती थी लेकिन पॉलिसी एजेंट्स लोगों को उनकी जरूरतों के हिसाब से नहीं बल्कि अपने फायदे और कमीशन को देखकर पॉलिसी बेचा करते थे वे बायर को ना तो पॉलिसी की सही इंफॉर्मेशन देते थे और अगर डिटेल जानना भी चाहे तो तमाम कॉम्प्लेक्शन पॉलिसी लेना या तो अवॉइड करते थे और अगर ले भी लिया तो 70 टू 75 पर लोग प्रीमेच्योर सरेंडर कर देते थे उसी दौरान पॉलिसी बाजार के फाउंडर याशी दहिया की जिंदगी में एक ऐसा इंसिडेंट हुआ जिसने उन्हें इस इंडस्ट्री में एंटर करने के लिए मोटिवेट किया दरअसल उनके फादर इंडियन आर्मी में कर्नल थे और लगभग 20 लाख अलग-अलग इंश्योरेंस पॉलिसी में लगाए हुए थे लेकिन जब साल 2008 के मंदी के दौर में मार्केट क्रैश हुआ तो उनका लगभग 70 पर पैसा डूब गया वो शॉक्ड हो गए क्योंकि उन्हें इस बात की जानकारी ही नहीं थी कि उनके इंश्योरेंस का पैसा शेयर मार्केट में लगा हुआ है इस घटना के बाद दहिया जी सोचने लगे कि भारत में उनके फादर की तरह कितने ही लोग इन फ्रॉड इंश्योरेंस एजेंट से धोखा खाते होंगे और शायद इसी कारण से लोग इंश्योरेंस नहीं लेना चाहते होंगे और जो लोग इंश्योरेंस जैसी जरूरी चीज लेने में इतना कतराते हैं वो लोंस और क्रेडिट कार्ड जैसे दूसरे फाइनेंशियल डिसीजंस तो कभी लेंगे ही नहीं इसमें लोगों का नुकसान तो है ही साथ ही इंडिया के ग्रोथ पर भी इसका असर पड़ता है और इसके बाद ही उन्होंने डिसाइड किया कि वह इंडिया के आम पब्लिक के लिए फाइनेंशियल डिसीजंस लेना आसान बना देंगे दहिया जी ने डिसाइड तो कर लिया लेकिन उनके समझ में यह नहीं आ रहा था कि वोह अपना रेजोल्यूशन पूरा कैसे करेंगे हालांकि उनके अंदर टैलेंट की कोई कमी नहीं थी आईआईटी दिल्ली से बीटेक आईआईएम अहमदाबाद से मैनेजमेंट में डिप्लोमा और इनसीड से एमबीए करने के बाद उन्हें साल 1996 से कई कंपनीज में काम करने का तजुर्बा था हर पल वह इसी ख्याल में डूबे रहते थे कि इस सेक्टर में वह एंटर कैसे कर सकते हैं और एक दिन जब वो वेजिटेबल मार्केट में गए तो वहीं से उन्हें पॉलिसी बाजार का आईडिया आया दरअसल हुआ यह कि उन्होंने देखा कि लोग सब्जी खरीदने से पहले दो-चार दुकान घूम के पहले सब्जी की क्वालिटी और रेट को कंपेयर करते हैं और फिर डिसाइड करते हैं कि उन्हें क्या लेना है यह देखकर उन्हें आईडिया आया कि क्यों ना कोई ऐसा मार्केट प्लेस बनाया जाए जहां लोग अलग-अलग इंश्योरेंस पॉलिसीज कंपेयर करके जो पॉलिसी बेस्ट लगे वह बाय करें आईडिया मिल जाने के बाद याशी दैया ने अपने दो दोस्त आलोक बंसल और अवनीश निर्जर से कांटेक्ट किया जो आईआईटी और आईएएम जैसे रेपुटेड इंस्टीट्यूशंस के ही प्रोडक्ट थे उन्हें भी यह आईडिया अच्छा लगा और सबने साथ मिलकर काम करने का फैसला किया अब इसमें तो कोई शक नहीं था कि जब इतना टैलेंट एक साथ काम करेगा तो कुछ बड़ा तो होना ही था लेकिन उनका सफर इतना आसान होने वाला नहीं था क्योंकि वह एक हाईली रेगुलेटेड सेक्टर में काम करने वाले थे साथ ही जो एसिस्टिंग इंश्योरेंस कंपनीज लोगों को बेवकूफ बनाकर पैसे लूट रही थी वह भी तो इनको सफल होते हुए नहीं देख सकती थी खैर इन सबकी परवाह किए बिना वे लोगों की एक जेनुइन प्रॉब्लम को सॉल्व करने के डायरेक्शन में आगे बढ़ गए और इस तरह जुलाई 2008 में शुरुआत हुई इंडिया की पहली ऑनलाइन इंश्योरेंस एग्रीगेटर कंपनी policybazar.com की सबसे पहले उन्होंने अपनी सेविंग्स और नौकरी क के शुरुआती फंडिंग से पॉलिसी बाजार की वेबसाइट डेवलप कराया जहां कस्टमर्स आकर अलग-अलग ब्रांड की इंश्योरेंस पॉलिसीज कंपेयर कर सकें पॉलिसी बाजार की टीम ने मार्केट का बेस्ट वेबसाइट तो बना लिया लेकिन उनके सामने एक बड़ा चैलेंज यह था कि इंश्योरेंस बेचने वाले ब्रांड्स अपना प्रोडक्ट पॉलिसी बाजार के वेबसाइट पर लिस्ट नहीं करना चाहते थे क्योंकि उनका मानना था कि इंडिया में डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और डिजिटल प्रोडक्ट्स का आईडिया बेकार है यह चलने वाला नहीं ब्रांड्स के इस रिस्पांस से याशी जी को कोई आश्चर्य नहीं हुआ क्योंकि वह इस बात को समझते थे कि किसी भी नई चीज को मार्केट आसानी से अडॉप्ट नहीं करता और हम इंडियंस तो शुरुआत में कंप्यूटर्स का भी विरोध करते थे कि ये हमारी नौकरियां खा जाएगा लेकिन आज वही कंप्यूटर्स हमारी जिंदगी का हिस्सा बन गया याशी दहिया कंसिस्टेंट फॉलोअप करते रहे और आखिरकार इंश्योरेंस मार्केट के कुछ दिग्गज ब्रांड्स पॉलिसी बाजार के वेबसाइट पर लिस्ट होने के लिए राजी हो गए फाइनली कुछ ही इंश्योरेंस ब्रांड्स के साथ पॉलिसी बाजार की वेबसाइट लॉन्च हुई और मार्केट में आते ही इसने धूम मचा दिया सालों से एजेंट्स के फ्रॉड से परेशान कस्टमर्स पॉलिसी बाजार के ट्रांसपेरेंट अप्रोच को देखकर काफी खुश हुए और इंश्योरेंस कंपैरिजन करने वाला पॉलिसी बाजार उनका फेवरेट वेबसाइट बन गया दरअसल पॉलिसी बाजार अपने शुरुआती समय में कंज्यूमर्स को बस पॉलिसी कंपेयर करने की फैसिलिटी देने के साथ ही लोगों को इंश्योरेंस के बारे में अवेयर करता था लेकिन धीरे-धीरे उसने अपनी वेबसाइट पर और भी कई सारे फीचर्स ऐड किए जिसकी वजह से कस्टमर्स अब पॉलिसीज बस प्राइस के बेसिस पर ही नहीं बल्कि प्रीमियम फीचर्स और बेनिफिट्स के बेसिस पर भी कंपेयर कर सकते थे पॉलिसी बाजार खुद को इंप्रूव करता रहा और जैसे-जैसे लोगों का ट्रस्ट उनके ऊपर बढ़ता गया पॉलिसी बाजार की टीम भी बड़ी होती गई लेकिन याश दहिया के माइंड में कुछ और भी चल रहा था वह हमेशा कहते थे कि हम पॉलिसी एग्रीगेटर ही नहीं हम पॉलिसी फैसिलिटेटर भी हैं और अपने इस टारगेट को अचीव करने के लिए उन्होंने साल 2013 में इंफो एज और इटल कैपिटल से मिला फंड पॉलिसी बाजार के वेबसाइट को इंप्रूव करने में लगा दिया जिसका नतीजा यह हुआ कि अब पॉलिसी बाजार से कस्टमर्स पॉलिसी को सिर्फ कंपेयर ही नहीं बल्कि पॉलिसी डायरेक्ट वहीं से खरीद भी सकता था फिर साल आया 2014 जब पॉलिसी बाजार ने अपने बिजनेस को और भी डायवर्सिफाई करने का प्लान किया क्योंकि उनका विजन सिर्फ टर्म या हेल्थ इंश्योरेंस के दायरे में बंद कर काम करना नहीं था बल्कि वह टू व्हीलर फोर व्हीलर ट्रेवल इंश्योरेंस हाउस और पेट इंश्योरेंस के साथ ही बिजनेस और इंडस्ट्रीज से रिलेटेड सभी तरह के इंश्योरेंस को अपने पोर्टफोलियो में शामिल करना चाहते थे लेकिन इसके लिए ढेर सारे फंड्स की जरूरत थी जो पॉलिसी बाजार के पास नहीं था लेकिन हां अगर देखा जाए तो कस्टमर्स पॉलिसी बाजार के वेबसाइट से सेटिस्फाइड थे क्योंकि उनके सामने कोई मजबूत कंपीटर था ही नहीं पर यह गोल्डन पीरियड ज्यादा समय तक नहीं रहा क्योंकि जैसे-जैसे मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट की सुविधाओं में सुधार होता गया वेबसाइट्स के मुकाबले मोबाइल एप्स ज्यादा पॉपुलर होने लगे और जैसे ही साल 2015 में reliancejewels.in मदद की पॉलिसी बाजार का मोबाइल ऐप लॉन्च होते ही कस्टमर्स के बीच वह काफी पॉपुलर हो गया दरअसल कस्टमर्स वेबसाइट के मुकाबले ऐप में पॉलिसी सर्च और कंपेयर एंड बाय करने के अलावा भी कई और फीचर्स यूज कर सकते थे हॉस्पिटल लोकेटर इंश्योरेंस प्रीमियम कैलकुलेटर इंश्योरेंस पॉलिसीज का इंस्टेंट रिन्यूअल और क्लेम असिस्टेंट जैसे कई फीचर्स मोबाइल ऐप में ऐड किए गए थे जो कस्टमर एक्सपीरियंस को स्मूथ बना रहे थे फिर साल आया 2018 जब पॉलिसी बाजार एक नई ऊंचाई पर पहुंच बने वाला था असल में मोबाइल ऐप के लॉन्च के बाद से ही पॉलिसी बाजार महीने के 15000 से भी ज्यादा पॉलिसीज बेचने लगा था और यह नंबर साल दर साल बढ़ता ही गया फाइनेंशियल ईयर 1718 की बात करें तो पॉलिसी बाजार ने दो गुने से भी ज्यादा रेवेन्यू ग्रोथ हासिल कर लिया और साल 2018 आते-आते कंपनी का वैल्यूएशन $ बिलियन डॉलर को भी क्रॉस कर गया जिससे वह कंपनी की तेज ग्रोथ ने आईआरडीएआई का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया और उसने कस्टमर्स के डाटा प्रोटेक्शन को लेकर इंक्वायरी शुरू कर दी और देखा जाए तो आईआरडीएआई के गाइडलाइंस को मीट करना भी पॉलिसी बाजार के लिए एक चैलेंज से कम नहीं था लेकिन इस बुरे वक्त को भी याशी और उनकी टीम ने ट्रस्ट बिल्डिंग अपॉर्चुनिटी में बदल दिया साइबर सिक्योरिटी मेजर्स और डटा प्राइवेसी प्रोटेक्शन सिस्टम को और मजबूत बनाया गया और यही नहीं ब्रांड ने लोगों को डाटा सिक्योरिटी पर अवेयर करने के लिए कैंपेन तक चलाया कंपनी कंपनी का बिजनेस फिर एक बार अपने ट्रैक पर वापस लौटने लगा लेकिन उनके सामने दो ऐसे मेजर चैलेंज थे जिसने ग्रोथ की रफ्तार को धीमा कर दिया था सबसे पहली प्रॉब्लम तो यह थी कि अभी भी कस्टमर्स का एक बड़ा हिस्सा था जो ऑनलाइन इंश्योरेंस मॉडल को अडॉप्ट नहीं कर पाया था और इंश्योरेंस एजेंट्स के जरिए ही पॉलिसी खरीद रहा था पॉलिसी बाजार ने इस सेगमेंट को अट्रैक्ट करने के लिए कई सारे ऑफर्स लॉन्च किए ऑनलाइन इंश्योरेंस खरीदने पर हर एक प्रोडक्ट पे डिस्काउंट और 24 * 7 कस्टमर सपोर्ट जैसे ऑफर्स ने लाखों ऑफलाइन कस्टमर्स को पॉलिसी बाजार के साथ कनेक्ट कर दिया और दूसरा मेजर चैलेंज यह था कि ज्यादातर इंडियंस इंश्योरेंस को टैक्स सेविंग टूल की तरह इस्तेमाल करते थे और इसलिए इंश्योरेंस को फाइनेंशियल ईयर के एंड में खरीदते थे लेकिन यह समझना जरूरी है कि इंश्योरेंस बस एक टैक्स सेवर नहीं बल्कि आज हमारी जिंदगी का एक बहुत ही जरूरी हिस्सा है क्योंकि परिवार में किसी एक मेंबर की बीमारी को हैंडल करना भी एक आम मिडिल क्लास इंडियन के लिए आज मुश्किल हो गया है लेकिन शायद लोगों में एक अवेयरनेस की कमी है और कुछ कंफ्यूजन भी रहता है कि आखिर कौन सी पॉलिसी ली जाए दोस्तों आज की डेट में हम खुद से जुड़े तमाम चीजों का इंश्योरेंस करा सकते हैं गाड़ियों का इंश्योरेंस तो आप कराते ही हैं अपने मकान लॉकर्स में रखी ज्वेलरी और यहां तक कि अपने पालतू जानवर का भी इंश्योरेंस पॉलिसी ले सकते हैं लेकिन अपने परिवार के हेल्थ और फ्यूचर को सिक्योर करने के लिए टर्म इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस हमें जरूर लेना चाहिए क्योंकि डेथ डिसेबिलिटी और डिजीज कभी भी दस्तक दे सकती है अगर बात हम टर्म इंश्योरेंस की करें तो यह इंश्योरेंस का सिंपलेस्ट एंड पोरेट फॉर्म है जो डेथ के बाद एक बड़ी रकम नॉमिनी को प्रोवाइड करता है आपको जानकर हैरानी होगी कि पॉलिसी बाजार जहां अपने ऑनलाइन टर्म इंश्योरेंस पर 10 पर तक का डिस्काउंट देता है वहीं सिर्फ 600 700 पर मंथ का मामूली सा प्रीमियम आपको 2 करोड़ तक का कवर विधि ला सकता है यानी कि आपके जाने के बाद यह 2 करोड़ आपकी फैमिली को मिलेगा जो उनके लिए लाइफ सपोर्ट का काम करेगा साथ ही सेक्शन 8c के अंदर हम टर्म इंश्योरेंस के जरिए 1.5 लाख तक का टैक्स भी सेव कर कर सकते हैं और बात अगर हेल्थ इंश्योरेंस की करें तो यह हमें उस समय सपोर्ट करता है जब हम या कोई फैमिली मेंबर बीमार पड़ता है नहीं तो हॉस्पिटल और मेडिकल बिल में आपके सेविंग्स का पूरा पैसा पानी की तरह बह जाता है और ना चाहते हुए भी हमें अच्छे हॉस्पिटल्स अच्छे डॉक्टर्स और अच्छे इलाज के साथ कंप्रोमाइज करना पड़ता है साथ ही हमारे आगे की जिंदगी का पूरा प्लान भी चौपट हो जाता है लेकिन एक अच्छा हेल्थ इंश्योरेंस हमें इन सभी टेंशन से आजादी देता है हम खर्च की परवाह किए बगैर रिप्यूट हॉस्पिटल्स में इलाज करा सकते हैं और आपको पता है दोस्तों इन इंश्योरेंस कंपनीज का सैकड़ों हॉस्पिटल्स के साथ टाईअप होता है जहां कैशलेस इलाज की भी सुविधा मिलती है यानी कि इन हॉस्पिटल्स में आपको पेमेंट की जरूरत ही नहीं होती हालांकि कुछ हॉस्पिटल्स में इलाज हमें अपने पैसों से कराना होता है और फिर इलाज के बाद इंश्योरेंस कंपनी अपने टर्म्स एंड कंडीशंस के हिसाब से इलाज का पैसा रि इंबर्स कर देती है लेकिन यह टर्म्स एंड कंडीशंस ही एक आम इंसान की समझ से परे हैं क्योंकि कोई भी कंपनी अपनी कमियों को नहीं बताती सरेंडर चार्जेस एक्चुअल वैल्यू ऑफ लाइफ कवर और इंटरनल रेट ऑफ रिटर्न कुछ ऐसे पैरामीटर्स हैं जो इंश्योरेंस कंपनी नहीं बताना चाहती साथ ही हेल्थ इंश्योरेंस के केस में इंक्लूजन एंड एक्सक्लूजन रूम रेंट कैपिंग और प्री एजिस्टिफाई मौजूद रहती है आप जो भी पॉलिसी लेना चाहते हैं उसके सारे टर्म्स एंड कंडीशंस उनकी वेबसाइट और ऐप पर रिटेन है इसलिए अब आपको उल्लू बनाना नामुमकिन है आपको पता है पॉलिसी बाजार अपने ऑनलाइन हेल्थ इंश्योरेंस पर 25 पर तक का डिस्काउंट देता है और यही नहीं 300 400 पर मंथ का मामूली सा प्रीमियम आपको 1 करोड़ तक का मेडिकल कवर दिला सकता है साथ ही सेक्शन 80d के अंडर हम हेल्थ इंश्योरेंस के जरिए 75000 तक का टैक्स भी सेव कर सकते हैं और दोस्तों मेरा पर्सनल सजेशन है कि अपने परिवार को किस्मत के भरोसे मत छोड़िए टर्म इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस तो हर किसी के पास होना ही चाहिए आप चाहें तो डिस्क्रिप्शन में दिए टर्म लिंक और हेल्थ लिंक से भी टर्म और हेल्थ इंश्योरेंस परचेज कर सकते हैं नवंबर 21 में पॉलिसी बाजार को शेयर मार्केट में लिस्ट कराया गया और एक अच्छी सोच के साथ शुरू हुआ एक स्टार्टअप आज मार्केट लीडर बन चुका है आज 14000 से भी ज्यादा एंप्लॉयज के साथ पॉलिसी बाजार लगभग 2 करोड़ पॉलिसीज सेल कर चुका थैंक्स फॉर वाचिंग

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