https://youtu.be/nBRpyCnfFEo?si=R1d0s3c1lZKCTsJH
टाइपिंग कोचिंग सेंटर में विजय का पहला दिन था। वह अपनी सीट पर बैठा टाइप सीखने के लिए नियमावली पुस्तिका पढ़ रहा था। तभी उसकी निगाह अपने केबिन के गेट की तरफ गई। कजरारे नैनों वाली एक सांवली सी लड़की उसके केबिन की तरफ आ रही थी। लड़की उसकी बगल वाली सीट पर आकर बैठ गई। टाइपराइटर को ठीक किया और टाइप करने में मशगूल हो गई। विजय का मन टाइप करने में नहीं लगा। वह किसी भी हालत में उस लड़की से बातें करना चाह रहा था। वह टाइपराइटर पर कागज लगा कर बैठ गया और लड़की को देखने लगा। लड़की की उंगलियां टाइपराइटर की बोर्ड पर ऐसे पढ़ रही थी जैसे हारमोनियम बजा रही हो। क्या देख रहे हो? थोडी देर बाद लडकी गुस्से से बोली, आपको टाइप करते हुए देख रहा हूं। यहां क्या करने आए हो? टाइप सीखने। ऐसे सीखोगे? लड़की के स्वर में तल्खी बरकरार थी। वो गुस्सा थी। विजय ने कहा, मेरा आज पहला दिन है, इसलिए मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है। आप टाइप कर रही थीं तो मैं देखने लगा कि आपकी उँगलियाँ कैसे पड़ती हैं कीबोर्ड पर। आपको टाइप करते हुए देखकर लगा कि मैं भी सीख ही जाऊँगा। यदि इसी तरह मुझे ही देखते रहे तो आपकी यह मनोकामना कभी पूरी नहीं होगी। लड़की ने कहा। लड़की यह कहकर फिर टाइप करने में जुट गई। विजय भी कीबोर्ड देखकर टाइप करने लगा। टाइप करने में उसका मन नहीं लग रहा था। वह बेचैनी सी महसूस कर रहा था। 10 मिनट बाद ही उसने टाइपराइटर करीबन। फंसा दिया। लडकी ने कहा रिबन तो फँसेगा ही। जब ध्यान कहीं और होगा। लडकी उसके टाइपराइटर को थोडा अपनी और खींचकर। रिबन ठीक करने लगी। लो ठीक हो गया। लडकी ने कहा। लडकी फिर टाइप करने में लग गई। लेकिन विजय का मन टाइप करने में नहीं लगा। वह लडकी से बात करने की ताक में ही लगा रहा। मन नहीं लग रहा है। अचानक लडकी ने उससे पूछा तो बांछें खिल गई। हां। लगता है कि सीख भी नहीं पाऊंगा। आसार तो कुछ ऐसे ही दिखते हैं। आपका नाम? विजय ने बात बढाने के लिए सवाल कर दिया। सरिता अच्छा नाम है। बहुत अच्छा नाम है। लेकिन मुझे इस नाम से नफरत है। विजय ने पूछा। क्यों? अब कोई एक कारण हो तो बताएं। यह कहते हुए सरिता अपनी सीट से उठी और पर्स कंधे पर टांगते हुए केबिन से बाहर निकल गई। विजय उसे जाते हुए देखता रहा। उसके जाने के बाद उसने टाइपराइटर पर नजर डाली। टाइपराइटर उसे उदास लगा। उसे शायद सरिता से प्यार होने लगा था। इसी दिन से विजय हवा में उड़ने लगा। रातों को छत पर घूमने लगा। तारे गिनता और उनसे बातें करता। चांदनी रात में बैठकर कविताएं लिखता। गर्मी की धूप उसे गुनगुनी लगने लगी। दुनिया गुलाबी हो गई तो जिंदगी गुलाब का फूल। आंखों से नींद गायब हो गई थी। वह खयालों ही खयालों में पैदल ही कई कई किलोमीटर घूमता था। अपनी इस स्थिति के बारे में उसने अपने एक दोस्त को बताया तो उसने कहा तुम्हें प्यार हो गया है। दोस्त की बात सुनकर उसे बहुत अच्छा लगा। अगले दिन विजय ने सरिता से कहा, आप पर एक कविता लिखी है। चाहता हूं कि आप इसे पढ़ें। सरिता ने कहा, यह भी खूब रही। जान न पहचान। तू मेरा मेहमान। कितना जानते हैं आप? मुझे जो भी जानता हूं, उसी के आधार पर लिखता हूं। सरिता उसकी लिखी कविता पढ़ने लगी। कविता के नीचे उसने विजय की जगह सागर लिखा था। सरिता ने उसे देखा और कागज विजय की तरफ बढ़ा दिया। विजय ने कहा, मैं चाहता हूं कि आप इसे टाइप कर दें। इसे छपने के लिए भेजना है। सरिता कुछ नहीं बोली। कागज को सामने रखकर टाइप करने लगी। विजय उसे देखता रहा। इस बात का आभास सरिता को भी था कि विजय उसे ही देख रहा है, लेकिन उसने कोई विरोध करने की बजाय उससे पूछा, आप कवि हैं? हां। बनने की कोशिश कर रहा हूं। कवि भगोड़े होते हैं। सरिता ने उसकी ओर देखते हुए कहा। उसकी इस टिप्पणी से विजय सकपका गया। सरिता ने फिर कहा, कवि अपने सुख के लिए कविता रचता है। रचते समय वह कविता के बारे में सोचता है। मगर उसके बाद वह कविता को उसके हाल पर छोड़ देता है। कविता जब संकट में होती है तो कवि कविता के पक्ष में खड़ा नहीं होता। विजय ने पूछा, यह आप कैसे जानती हैं? मैं समझती हूं कि आदमी की जिंदगी भी एक कविता है। मेरी जिंदगी भी एक कविता है। मेरी जिंदगी मुझे अच्छी नहीं लगती, इसलिए कविता भी मुझे अच्छी नहीं लगती। अरे वाह! आप तो कवि हैं। विजय ने कहा। हाँ। अभी आपने जो कहा वह तो कविता है। सरिता ने कहा। नहीं, कविता नहीं। कविता का प्रलाप है उसकी वेदना जो उस कवि के कारण उपजी है, जिसने मेरी जिंदगी की रचना की। इतना कहकर सरिता केबिन से बाहर चली गई और विजय सोचता रहा कि कैसी है यह। आज उन्होंने बहुत अधिक बातें की। उनके वार्तालाप को देखकर टाइपिंग इंस्टिट्यूट चलाने वाली मैडम ने उनके पास आकर कहा कि आजकल तो तुम काफी खुश हो। सरिता। बदले में सरिता केवल मुस्कराई। विजय भी मुस्कुराया। तो क्या मेरे प्यार की गंध इसे भी लग गई? उसने सोचा। मगर उसके अगले दिन से ही एक सप्ताह तक सरिता टाइपिंग स्कूल नहीं आई। विजय बहुत परेशान हो गया। विजय रोज आता रहा और निराश होकर वापस घर जाता रहा। आठवें दिन सरिता के आते ही वह पूछ बैठा कि एक सप्ताह तक कहां थी? आई क्यों नहीं? जिंदगी में बहुत दिक्कतें हैं। कहते हुए सरिता अपनी सीट पर बैठ गई। विजय ने सवाल किया, क्या हो गया? मेरी बहन जो बीए कर रही है, किसी लड़के के साथ चली गई। दोनों बिना शादी के ही एक साथ रह रहे हैं। ऐसा क्यों किया? उसका कहना है कि यदि वह ऐसा न करती तो उसकी शादी ही नहीं हो पाती। विजय ने पूछा। मतलब? हमारे घर के आर्थिक हालात। इतना कहकर सरिता चुप हो गई। विजय ने कहा, मुझे नहीं लगता कि आपकी बहन ने गलत किया है। आजकल की युवा पीढ़ी विद्रोही हो गई है। वह परंपराओं को तोड़कर नई नैतिकता गढ़ रही है। समय के साथ सब ठीक हो जाएगा, सरिता ने कहा। हां, पर मां तो नहीं समझती। हां, उनके लिए समझना थोड़ा मुश्किल है। लेकिन आजकल सब चलता है। हमारा समाज बदल रहा है। बिना शादी के साथ रहना पश्चिमी परंपरा है। लेकिन अब ऐसा हमारे यहां भी होने लगा है। हां, बैठ कर सपनों के राजकुमार का इंतजार करने से तो बेहतर ही है ना कि जो हाथ थाम ले उसके साथ चल दिया जाए। चाहे चार दिन ही सही जिंदगी में बहार तो आएगी। विजय को लगा कि कह दे कि फिर तुम मेरे साथ क्यों नहीं चली चलती। हम शादी कर लेते हैं। पर वो कह नहीं पाया। जानते हो मेरी एक बहन 12वीं में पढ रही है। उसका भी एक लडके से प्रेम चल रहा है। वो दोनों एक दूसरे से शादी करने को तैयार है। अगले साल बालिग होते ही दोनों शादी कर लेंगे। विजय के मन में आया कि कह दे कि अच्छा ही है। वह अपने आप पर खोज ले तो तुम्हें परेशानी नहीं होगी। वैसे भी पाँच हज़ार की नौकरी में तुम कौन सा राजकुमार उन्हें दे दोगी? अच्छा है कि वह अपने अपने प्रेमियों के साथ भाग जाए। बातों बातों में एक दिन सरिता ने उसे बताया था कि उसके पिता की मौत हो चुकी है।
3) https://youtu.be/ZiwLVy_n1H8?si=diS78AeHqjzVhHib
5) https://www.youtube.com/watch?v=LuBHLZCYw5k
आज जो कहानी मैं आपको सुनाने जा रहा हूँ, गारंटी है कि आप इसे सुनने के बाद रो पड़ोगे। प्लीज इस कहानी को एक बार पूरा जरूर सुनिएगा। चार साल पहले की बात है। एक लड़का था। वो हर रोज देर रात तक फेसबुक यूज किया करता था। एक दिन लड़के ने रोज की ही तरह फेसबुक पर ऑनलाइन हुआ तो उसने देखा की एक लड़की ने उसकी सारी फोटोस को लाइक किया हुआ था। लड़के को थोड़ा अजीब लगा क्योंकि वह उस लड़की को जानता नहीं था और अक्सर ऐसा होता है जिसे हम नहीं जानते उसे भी फेसबुक पर ऐड कर लेते हैं। फिर लड़के ने लड़की के पास मैसेज किया। लड़के ने लिखा आप कौन हो और क्या आप मुझे जानती हो क्योंकि मैं तो आपको नहीं जानता। आपने मेरी सारी फोटोज को लाइक किया है तो इसलिए मैंने सोचा कि आपसे पूछ लूं कि आप कौन हो। लड़की उस टाइम ऑनलाइन नहीं थी लेकिन लड़की जब ऑनलाइन हुई तो उसने लड़के के मैसेज का रिप्लाई किया। लड़की ने कहा नहीं मैं आपको नहीं जानती पर आप मेरे फ्रेंड लिस्ट में कब ऐड हुए यह भी मुझे याद नहीं। तो आपका प्रोफाइल चेक कर रही थी कि आप कौन हो और कहां से हो। लेकिन आपकी प्रोफाइल में मैंने फोटोज देखी तो मुझे अच्छी लगी इसलिए मैंने लाइक कर दिया। फिर दोनों ने थोड़ी बहुत बातें की। ऐसे ही कुछ दिन तक कभी कभी उनकी बातें होती रही फेसबुक पर और कुछ दिनों तक ऐसे ही चलता रहा। फिर वो दोनों अब रोज देर रात तक फेसबुक पर एक दूसरे से बात करने लगे। ऐसे ही धीरे धीरे कुछ महीने बीत गए। अब दोनों एक दूसरे के अच्छे दोस्त बन गए थे। फिर एक दिन दोनों फेसबुक पर बात ही कर रहे थे। तभी लड़के ने लड़की से पूछा क्या तुम व्हाट्सप्प यूज करती हो? लड़की ने कहा क्यों पूछ रहे हो? तो लड़के ने कहा बताओ ना। लड़की ने कहा हाँ यूज करती हूँ। फिर लड़के ने कहा तो फिर अपना नंबर दो ना व्हाट्सप्प पर बात करेंगे। क्योंकि फेसबुक पर जब तुम्हें मैसेज करता हूँ तो तुम ऑफलाइन होती हो और फिर तुम्हारा रिप्लाई लेट आता है और व्हाट्सप्प पर बात होगी तो तुम मैसेज जल्दी देखोगी तो रिप्लाई भी जल्दी करोगी। लड़की ने कहा ठीक है और लड़की ने लड़के को अपना नंबर दे दिया। अब दोनों व्हाट्सप्प पर बात करने लगे। ऐसे ही धीरे धीरे कुछ दिन और बीत गए। अब दोनों कभी कभी फोन पर भी बात करने लगे। एक दिन दोनों फोन पर बात कर रहे थे तभी लड़की ने कहा एक बात बोलूं गुस्सा तो नहीं करोगी? लड़की ने कहा नहीं करूंगी, बोलो। लड़के ने कहा पक्का ना। गुस्सा नहीं करोगी? लड़की ने कहा नहीं करूंगी गुस्सा बोलो तो। फिर लड़के ने लड़की को प्रपोज कर दिया। लड़की ने कहा झूठ। क्योंकि तुम तो कहते थे तुम कभी किसी से प्यार नहीं करोगे। फिर तुम्हें मुझसे प्यार कैसे हो गया? लड़का लड़की से अक्सर कहा करता था की मैं कभी किसी से प्यार नहीं करूंगा। क्योंकि लोग अक्सर छोड़ के चले जाते हैं। फिर बहुत तकलीफ होती है। लड़के ने कहा सच कह रहा हूं। मुझे नहीं पता यह कैसे हुआ, लेकिन तुम मुझे अच्छी लगती हो। मुझे नहीं पता तुम्हारे दिल में क्या है। लेकिन अगर तुम्हें नहीं पसंद तो मैं यह बात दोबारा कभी नहीं बोलूंगा। लड़की ने कहा, अच्छा नहीं, कोई बात नहीं, तुम बोल सकते हो। लड़के ने कहा, मतलब मैं भी तुम्हें पसंद हूं क्या? लड़की ने कहा, हो सकता है। लड़के ने कहा यार ठीक से बताओ। पसंद करती हो या नहीं। फिर लड़की ने थोड़ा सोचा और फिर कहा हां पसंद करती हूं। लड़का बहुत खुश हो गया मानो जैसे उसे दुनिया की सबसे बड़ी खुशी मिल गई हो। ऐसे ही कुछ महीनों तक चलता रहा। अब दोनों एक दूसरे से शादी के ख्वाब देखने लगे। लड़के ने एक दिन लड़की से पूछा अच्छा बताओ तुम्हारे घरवाले अगर शादी के लिए नहीं मानेंगे तो क्या करोगी? क्योंकि हमारी कास्ट अलग है तो क्या तुम्हारे घरवाले मानेंगे? लड़की ने कहा मैं मना लूंगी। लड़के ने कहा अगर तुम्हारे मनाने से भी वो नहीं माने तो। तो क्या तुम मुझे छोड़ दोगी? लड़की ने कहा चुप रहो, मैं नहीं जी सकती तुम्हारे बिना। मुझे सिर्फ तुम चाहिए। अगर घरवाले नहीं मानेंगे तो हम भागकर शादी कर लेंगे और एक बार शादी हो गई तो घरवालों को मानना ही पड़ेगा। लड़के ने कहा नहीं पागल हो, ऐसा कभी मत सोचना। उनको कितना दुख होगा। तुम ऐसा करोगी तो दुनिया की नजरों में उनका सिर नीचा करना चाहती हो क्या? तुम बस घरवालों से बात करना। उनको समझाना कि मैं तुम्हें कितना खुश रखूंगा। मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करूंगा, बस तुम मेरे साथ रहना हमेशा। लड़की ने कहा मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगी क्योंकि तुम मेरी सांसे हो। मुझे तुम्हारे सिवा कुछ नहीं चाहिए। ऐसे ही कुछ दिन और बीत गए। एक दिन बातों ही बातों में दोनों ने एक दूसरे से मिलने के बारे में सोचा। लड़के ने कहा ठीक है मैं आऊंगा कुछ दिनों में तुमसे मिलने। मैं आपको बता दूं। लड़के का घर लड़की के घर से 600 किलोमीटर दूर था और धीरे धीरे फिर वह दिन आ ही गया जब लड़का लड़की से मिलने उसके शहर गया। वहां पहुंचने के बाद लड़के ने लड़की के पास फोन किया क्योंकि लड़की उसे स्टेशन पर रिसीव करने आई थी। लड़की ने फोन उठाया और पूछा कहां हो? लड़के ने कहा, मैं स्टेशन के बाहर हूं। तुम कहां हो? लड़की ने कहा मैं भी तो वहीं पर हूं। तभी दोनों ने एक दूसरे को देख लिया। लड़की मुस्कुराते हुए उसके पास आई। फिर दोनों ने एक दूसरे का हाथ पकड़ा और वहां से बात करते हुए जाने लगे। दोनों ने थोड़ी बहुत बातें की। तभी लड़की के फोन पर उसके पापा का फोन आया। लड़की ने उनसे बात की। फिर लड़की ने लड़के से कहा मुझे घर जाना पड़ेगा। कुछ काम है। पापा बुला रहे हैं। तुम भी चलो साथ में। रास्ते में ही मेरा घर है। तुम भी देख लेना मेरा घर और वहीं पास में तुम्हें होटल भी मिल जाएगा। लड़का भी सफर से थक चुका था। लड़की ने कहा ठीक है, लेकिन फिर तुम कब मिलोगी? लड़की ने कहा कल सुबह मिलेंगे। फिर पूरा दिन साथ में घूमेंगे। लड़के ने कहा ठीक है। और फिर दोनों ऑटो में बैठे और बात करते हुए लड़की के घर तक पहुंच गए। लड़की ने थोड़ी दूर से ही लड़के को अपना घर दिखाया और फिर लड़के से कहा मैं जा रही हूँ, कल मिलते हैं और सुनो होटल जाने के बाद मुझे फोन करके बता देना। लड़के ने कहा ठीक है। फिर लड़की अपने घर की तरफ जाने लगी और लड़का वहीं खड़ा होकर उसे बहुत प्यार से देख रहा था। लड़की अपने घर में चली गयी। फिर लड़का भी मुड़ा और वापस होटल की तरफ जाने लगा और फिर अगले दिन दोनों एक पार्क में मिले। दोनों ने बहुत सारी बातें की। फिर लड़की ने लड़के को अपना शहर घुमाया। अब धीरे धीरे शाम होने लगी थी। फिर लड़की ने कहा मैं घर जा रही। लड़का भी अगले दिन अपने घर वापस जाने वाला था तो लड़के ने कहा कल मैं भी तो जा रहा। तो क्या तुम आओगी स्टेशन मुझसे मिलने। लड़की ने कहा हां आऊंगी ना। फिर लड़की अपने घर चली गई। अगले दिन सुबह लड़के ने लड़की के पास फोन किया। लड़की ने फोन उठाया तो लड़के ने कहा तुम आ रही हो ना? लड़की ने कहा हां। लड़की ने कहा ठीक है, मैं स्टेशन पर तुम्हारा इंतजार करूंगा। लड़का स्टेशन पहुंच गया और लड़की का इंतजार करने लगा। लड़की भी थोड़ी देर बाद आई। फिर साथ में बैठ कर दोनों एक दूसरे से बात करने लगे। लड़के ने लड़की से कहा अपने घरवालों से बात कर लो ना, फिर हम शादी कर लेंगे। लड़की ने कहा कर लेंगे लेकिन एक दो साल तक रुक जाओ। लड़की ने कहा ठीक है, लेकिन जल्दी ही बात कर लेना। लड़की ने कहा हां ठीक है कर लूंगी और कुछ देर बाद लड़के की ट्रेन आ गई। लड़के ने कहा मैं जा रहा पर तुम अपना खयाल रखना। ट्रेन चलने लगी। लड़का ट्रेन पर चढ़ गया और ट्रेन के गेट पर खड़े होकर लड़की को देखने लगा। लड़की भी उसे देख रही थी। ट्रेन के जाने के बाद लड़की भी अपने घर चली गई और लड़के के घर वापस आने के बाद वो दोनों पहले की तरह रोज फोन पर बात करने लगे। दोनों बहुत खुश थे। धीरे धीरे कुछ महीने और बीत गए। और कहते हैं ना वक्त के साथ बहुत कुछ बदल जाता है। वैसे ही अब लड़की भी बदलने लगी थी। अब वो लड़के से ज्यादा बात नहीं करती। लड़के को कुछ समझ नहीं आ रहा था वो क्या करे। लड़के ने लड़की से बहुत प्यार से पूछा तुम ऐसा क्यों कर रही हो? तुम बदल क्यों रही हो? क्या अब तुम मुझसे प्यार नहीं करती? अगर मुझसे कोई गलती हो गई हो तो बताओ।
https://www.youtube.com/watch?v=3o_O3cWDfZU
https://www.youtube.com/watch?v=CPPm9vdOjMk
https://www.youtube.com/watch?v=Sojy5T3NV1Q
https://www.youtube.com/watch?v=olqRy3qf89s
https://www.youtube.com/watch?v=ZiwLVy_n1H8
Part 1
https://www.youtube.com/watch?v=Ma9xsHdiAwU
Part 2
https://www.youtube.com/watch?v=hfUHJHCyC0k
https://www.youtube.com/watch?v=JsoIxypw9kE
https://www.youtube.com/@AshishMishraa/videos
1) https://www.youtube.com/watch?v=1P5LQuoIpRE
सुधीर कॉन्फ्रेंस में पहुंच चुका था। वहां पर उसका व्यक्तव्य होना था। वहां पर उसे बहुत से लोग मिले जिन्हें वह जानता था लेकिन उसकी नजर किसी एक खास व्यक्ति पर जाकर टिक गई। उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसके मन का भूला बिसरा सवाल फिर से उसके सामने खड़ा होगा। क्या यह वाकई वह है? लेकिन सुधीर को अब भी यकीन नहीं हो रहा था। तब तक आवाज आई, चलिए सुधीर जी, लोग आपका इंतजार कर रहे हैं। सुधीर का ध्यान टूट गया। उसके वक्तव्य का समय हो गया था। उसने अपना वक्तव्य बेख्याली में ही पूरा किया और वहाँ से जल्दी निकल गया। पूरे रास्ते वह इसी उधेड़बुन में लगा रहा कि उसने जिसे देखा है वह सच था या उसकी कल्पना। अपने घर पहुँचकर उसने बेचैनी से कपड़े बदले और बिस्तर में लेट गया। घर पर कोई नहीं था, सिवाय एक नौकर के। उसकी नींद कोसों दूर थी। वह अपनी जिंदगी के पुराने लम्हों की ओर लौट कर जा रहा था। एक लड़की की आवाज आई, सुनिए, फर्स्ट ईयर की क्लास किधर है। सुधीर ने बताया कि आगे से दाहिने बढ़कर पहला रूम। सुधीर ने उत्सुकता से पूछा, वैसे आपका नाम जान सकता हूँ? लड़की ने धीमे स्वर में कहा, जी श्रुति कपूर। सुधीर को उसका व्यवहार काफी संतुलित लगा। धीरे धीरे उनका औपचारिक परिचय दोस्ती में बदल गया और फिर प्यार में। सुधीर एक संपन्न परिवार से था और श्रुति एक मध्यवर्गीय लड़की थी। उनके परिवारों में इस बात को लेकर कोई मतभेद नहीं था क्योंकि दोनों एक दूसरे के परिवार की बहुत इज्जत करते थे। सब कुछ ठीक चल रहा था। दोनों अपने भावी जीवन को लेकर बहुत खुश थे। दोनों अपनी पढ़ाई में काफी ध्यान दे रहे थे। चूंकि सुधीर श्रुति से सीनियर था, इसलिए वह अपनी पढ़ाई पूरी करके श्रुति से पहले ही कॉलेज छोड़कर चला आया। दोनों ने एक दूसरे से संपर्क नहीं तोड़ा। सुधीर श्रुति की पढ़ाई में बहुत मदद करता रहा। इसी तरह समय बीतता गया और श्रुति के अंतिम चरण की परीक्षा का समय नजदीक आ गया। उस दिन पहली परीक्षा थी। सुधीर श्रुति को शुभकामनाएं देने पहुंचा। श्रुति उसका इंतजार कर रही थी। श्रुति ने बेचैनी से कहा, सुधीर। अच्छा हुआ कि तुम आ गए। मुझे बहुत घबराहट हो रही है। इस बात से सुधीर परेशान हो गया। बोला, क्यों तुम पहली बार तो एग्जाम नहीं दे रही हो। फिर क्या हुआ? वो बोली। तबियत ठीक नहीं लग रही। कुछ दिनों से थकान रहती है हर वक्त। सुधीर चिंता जताते हुए बोला तुम्हें डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए था। इतनी लापरवाही ठीक नहीं है। श्रुति ने हंसकर कहा ठीक है, एग्जाम खत्म होने के बाद पक्का डॉक्टर के पास जाऊंगी। उसके बाद धीरे धीरे सभी एग्जाम खत्म हो गए थे, लेकिन श्रुति की तबियत ठीक होने के बजाय और खराब हो गई। जब उसके खून की जांच की गई तो सब लोग हैरान रह गए। किसी ने कल्पना भी नहीं की थी की ऐसा भी कुछ हो सकता है। सुधीर और श्रुति पर तो मानो वज्रपात ही हो गया। श्रुति को ब्लड कैंसर था। उनका मन मानने को तैयार ही नहीं था की उनकी जिंदगी की खुशियां इस तरह गम के बादल ओढ़ लेगी। डॉक्टर ने बताया की बीमारी अपने अंतिम चरण में है और अब चाह कर भी कुछ नहीं हो सकता। सुधीर ने श्रुति की हिम्मत बनने का फैसला किया। वह इस हालत में उसे अकेला नहीं छोड़ सकता था। वह हरदम उसके पास ही रहता। उसे जो कुछ भी चाहिए होता, वह तुरंत उसके लिए ले आता। श्रुति के माँ बाप खुश थे कि कोई तो है जो इस समय में भी श्रुति के साथ है। श्रुति के मन में पता नहीं क्या चल रहा था कि वह थोड़ी गुमसुम सी रहने लगी। एक दिन सुधीर श्रुति के लिए सेब काट रहा था। श्रुति काफी देर से उसे एकटक देख रही थी। सुधीर ने सेब देते हुए उससे पूछा, क्या हुआ? ऐसे क्यों देख रही हो? वह बोली अब आगे के लिए क्या सोचे हो? सुधीर बोला क्या सोचना है? श्रुति बोली मैं तुम्हारे शादी की बात कर रही हूँ। सुधीर बोला हाँ बस तुम ठीक हो जाओ तो फिर शादी की तैयारी शुरू करते हैं। श्रुति बोली तुम क्या कह रहे हो? जानते हो ना की मेरी जिंदगी दवाइयों के ऊपर भी ज्यादा समय तक नहीं रहेगी और मैं चाहती हूँ की मेरे जाने से पहले तुम अपनी जिंदगी में सेटल हो जाओ। सुधीर रुआंसा होकर बोला। हम लोग साथ क्यों नहीं रह सकते? भगवान ने हमारे साथ ऐसा क्यों किया? फिर श्रुति बोली। हो सकता है की भगवान ने कुछ और नई मिसाल सोच रखी हो। मान जाओ और आगे बढ़ जाओ। उसने श्रुति के कहने पर संध्या नाम की लड़की से शादी की और सामंजस्य बिठाने की कोशिश करने लग गया। उसके लिए श्रुति को भुला देना आसान नहीं था, लेकिन अब उसे यह जिम्मेदारी तो निभानी ही थी। श्रुति ने शहर छोड़ दिया और किसी दूसरे शहर चली गई। धीरे धीरे समय बीत रहा था। शादी को डेढ़ साल हो गया था। इस बीच वह श्रुति के बारे में हालचाल लेता रहता था। कुछ समय बाद उसके जीवन में एक नया अध्याय शुरू हुआ। उसकी पहली संतान एक बेटे का जन्म हुआ। वह बहुत खुश था। अस्पताल से छुट्टी होने के बाद जब वह संध्या को लेकर घर जा रहा था की संयोग से सुधीर को कोई मंदिर दिख गया था और वह बच्चे को लेकर वहीं उतर गया। संध्या कमजोरी की वजह से गाड़ी में ही थी। ड्राइवर गाड़ी को सड़क के किनारे लगाने जा ही रहा था कि तभी एक ट्रक ने उसकी गाड़ी को टक्कर मार दी। उस हादसे में संध्या के सिर और आंख में काफी चोट आई थी। उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया। काफी जांच करने के बाद डॉक्टर ने बताया कि संध्या की आंखों में कांच के महीन टुकड़े चले जाने की वजह से उसकी आंखों का ऑपरेशन करना होगा और आंखें बदलनी होगी। संयोग से तभी किसी मरीज के नेत्रदान की बात सामने आई और जो अब इस संसार से विदा हो चुका था। सुधीर तुरंत ही इस ऑपरेशन के लिए तैयार हो गया। सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद ऑपरेशन किया गया, जो सफल भी रहा। अब सुधीर को श्रुति का ध्यान आया। पिछले दो महीने से वह उसके बारे में कुछ पता नहीं कर पाया कि उसकी तबीयत में कितना सुधार है या कोई परेशानी तो नहीं हो रही है। उसने उसका हालचाल लेने के लिए फोन किया तो पता चला कि कुछ समय पहले ही उसका देहांत हो चुका है। यह सुनकर सुधीर सन्न हो गया। उसे यह सोचकर दुख हुआ कि वह अपनी दुनिया में इस कदर मग्न हो गया था कि वह अंतिम समय में श्रुति के साथ नहीं था। धीरे धीरे वक्त गुजरा और संध्या की आंखों की पट्टियां खुलने वाली थी। लेकिन सुधीर को कॉन्फ्रेंस में जाना जरूरी था, इसलिए वह जल्दी आने के लिए कहकर कॉन्फ्रेंस में चला आया। तभी फोन की घंटी से सुधीर की निद्रा टूटी। उसने फोन उठाया तो दूसरी ओर से आवाज आई हैलो सुधीर। सुधीर बोला जी कौन बोल रहा है? वह पहचान ही नहीं पाया। उधर से आवाज आई मैं संध्या आपको क्या हुआ है? कोई परेशानी है क्या? संध्या परेशान होकर बोली। फिर सुधीर के दिमाग में आया अरे आज रियाज तो संध्या की आंखों से पट्टी हटने वाली थी। फिर संध्या बोली, आप कॉन्फ्रेंस से घर क्यों चले आए? आपकी तबीयत तो ठीक है ना? संध्या उधर से पूछ रही थी। सुधीर चौंक कर बोला, तुम कॉन्फ्रेंस में आई थी। सुधीर आश्चर्य चकित रह गया। वह बोली, हां, मैं आपको सरप्राइज देने आई थी। आपको वहां देख कर अच्छा लगा। संध्या खुश थी। तो क्या उसने संध्या को ही देखा था? उसे श्रुति के होने का भ्रम क्यों हुआ? सोचते हुए सुधीर को नींद आ गई। अगली सुबह जब अस्पताल पहुंचा तब संध्या वाशरूम में गई हुई थी। उसने बिस्तर पर देखा तो वहां एक लिफाफा पड़ा हुआ था, जिसमें एक कागज था। उसने कागज खोल कर देखा तो चौंक गया। वह श्रुति का पुत्र था। उसने पढ़ना शुरू किया। उसमें लिखा था। जब तक तुम्हें यह खत मिलेगा, तब तक मैं बहुत दूर जा चुकी होगी। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि तुम अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुके हो। जिस तरह तुम मुझसे दूर रहकर मेरे जीवन को जीते थे, उसी तरह मैं भी तुम्हारा जीवन आत्मसात करती थी। तुम्हारे प्यार की बदौलत ही तो मैं इतना जी पाई। लेकिन कभी भी यह समझ नहीं सकी कि इस जिंदगी का मकसद क्या है। मैं तुम्हारे जिंदगी की हर खुशी में शामिल थी। तुम्हारे शादी से लेकर अब तक के जीवन में। फिर अब क्या था, जो मैं जी रही
2) https://www.youtube.com/watch?v=CVzJhia_q2g
कैंटीन में तुलिका और तृप्ति के पास आकर एक साधारण कपड़ों में साधारण शक्ल के लड़के अनुज ने एक छोटी सी पैकिंग में गिफ्ट मुस्कुरा कर देते हुए कहा, पिंकी जी, यह आपके जन्मदिन का तोहफा है। तृप्ति ने हंसकर गिफ्ट लेते हुए कहा थैंक्स, पर मुझे पिंकी मत कहा करो। अनुज कितनी बार समझाया है तुमको अनुज कुछ उदास होते हुए चुपचाप वहीं खड़ा रहा। अब तृप्ति ने थोड़े ऊंचे स्वर में अनुज से कहा, अब गिफ्ट दे दिया तो जाओ यहां से। अनुज सिर झुका कर वहां से चला गया और कैंटीन से लगे पेड़ से टिककर खड़े होकर कुछ सोचने लगा, जिससे उसके आंसू निकल आए और उन्हें पूछ ही रहा था कि पृथ्वी आकर उसके गले में हाथ डाल कर बोला यार यह लड़कियों की तरह रो क्यों रहा है? अनुज ने खुद को संभालते हुए कहा कुछ नहीं यार, बस आंखों में कुछ गिर गया। पृथ्वी बोला अबे साले यारों से तो सच बोल दिया कर। मुझे पता है तुझे पिंकी की झिड़की का बुरा लगा। यह कहते हुए पृथ्वी ने उसकी आंखों की तरफ देखा। अनुज ने सोच में डूबते हुए कहा यार वो कभी मुझसे किसी ने ऐसे बात नहीं किया ना इसलिए।
पृथ्वी बोला देख भाई, मैंने तेरा हमेशा भला चाहा है इसलिए हर बार तुझे समझाता रहा की वो तेरे टाइप की नहीं है, वो बस यूज एंड थ्रो टाइप की है। मत पढ़ चक्कर में। अनुज बोला मैं भी तुझसे उतनी ही बार कह चुका हूं। वही मेरी पिंकी है जिसके सपने मैंने जिंदगी भर सजाए हैं। अब मिली है तो उसे मनाने दे और तूने जो सुना है वो सब अफवाह ही है। जिसको लड़की ना मिले वो बदनाम करना शुरू कर देता है। वैसे वो बहुत शर्मीली है। बस एक बार मेरा प्यार समझ जाए। तब तक पृथ्वी उसकी बात को काटते हुए बोला, ठीक है पिंकी पुराण बंद कर और ये बता आज बस से क्यों आया है bike कहाँ है? अनुज ने नजरें चुराते हुए कहा वो आज स्टार्ट ही नहीं हो रही थी इसलिए पृथ्वी से रहा नहीं गया और बीच में ही बोला मेरे सर पर सींग लगे हैं जो मुझे समझ नहीं आता ये क्यों नहीं कहता। उसे गिफ्ट के चक्कर में बाइक को बेच दी। मुझे शक तो कल शाम ही हो गया था जब तू मैकेनिक की दुकान पर भटकता फिर रहा था। इतना महंगा गिफ्ट देने की क्या जरूरत थी? अनुज की चोरी पकड़ी गई तो उसे मानने में ही समझदारी दिखी। फिर मुस्कुराते हुए बोला, ये प्रेम है यार, यहाँ मोल भाव नहीं, लेन देन का यहाँ कोई हिसाब नहीं। प्रेम लिखा है यहाँ हर तरफ चाहे अगर तू पढ़ ले खुद इस बही खाते की कोई खुली किताब नहीं है। पृथ्वी कुछ कहने की सोच ही रहा था की उसकी नजर घड़ी पर पड़ी और अनुज का हाथ पकड़ते हुए बोला, अच्छा मेरे गालिब! चल वरना प्रोफेसर ढक्कन हमें मार डालेगा।
अनुज हंसते हुए बोला मैंने कब मना किया? तू ही बातों में लगा था। वैसे वो प्रोफेसर बच्चन है, ढक्कन नहीं। दोनों ने ठहाके लगाकर क्लास की और चल दिए। उधर कैंटीन में तृप्ति ने तुलिका से कहा, यार ये लड़के कितनी जल्दी सेंटी हो जाते हैं साले डफर! तूलिका ने गिफ्ट हाथ में लेते हुए कहा। अरे मेरी बर्थडे गर्ल, तू क्यों आज अपना मूड खराब करती है? कुछ देकर ही गया। देखने तो दे उस भिखारी की क्या औकात है। यह बात बोलकर उसने गिफ्ट का रैपर फाड़कर निकाला और देखा तो बोली अरे वाह! आज का पहला गिफ्ट है डायमंड रिंग है, देख ले। तृप्ति को थोड़ा आश्चर्य हुआ। पर उसे छुपा कर पर उसे आश्चर्य को छुपा कर इतराते हुए बोली, यह छोटी मोटी रिंग तो मेरे मेकअप बॉक्स में कितनी पड़ी है? मेरी तरफ से तू इसे पहन ले। तूलिका ने हंसते हुए कहा। हां तृप्ति सही कहा। तेरी जैसी सेक्सी के लिए यह छोटी सी रिंग उस भिखारी ने तेरी बेइज्जती कर दी। चल तू कहती है तो मैं रख लेती हूं। थैंक्स। अभी तूलिका मुस्कुरा ही रही थी कि अभिनव ने तृप्ति के कंधे पर हाथ रख कर कहा, और मेरी जान, हैप्पी बर्थडे।
तृप्ति ने आंखें दिखाते हुए उससे कहा। कंजूस आज भी खाली हाथ चला आया। अभिनव बोला भाई तुझे तो रात की पार्टी का इंतजार है, तभी गिफ्ट ले लेना। अपना बता कितने बजे और कहां है पार्टी? तृप्ति बोली, तू कितना लालची है। तुझे मेरे जन्मदिन पर भी अपने पेट का ही ख्याल है। अभिनव कुछ बोल पाता तब तक एक तगड़ा हाथ उसके पीठ पर पड़ा और उसकी कराह निकल गई। यह हाथ शिवाय का था। शिवाय बोला साले तेरी हिम्मत कैसे हुई? आज मैं और तृप्ति ही करेंगे पार्टी। किसी चिरकुट को पार्टी चाहिए तो यही कैंटीन में जितना चाहे करो पर रात को भूलकर भी फोन नहीं करना कि पार्टी कहां है। तृप्ति खिलखिला उठी और तूलिका यह सुनकर चौंक गई। शिवाय ने इशारा कैंटीन वाले को किया तो सभी ने तृप्ति को घेर लिया और सुर में गाने लगे हैप्पी बर्थडे टू यू डियर तृप्ति। तृप्ति के आगे केक रखा गया और शिव ने तृप्ति का हाथ पकड़ कर केक कटवाया और छोटा सा टुकड़ा तृप्ति को खिलाया और केक की ओर इशारा करके अभिनव से बोला, ले, इसे सब में बाँट दे और अकेले मत खा लेना। तृप्ति ने शिव का हाथ पकड़ कर कहा, मुझे तुमको केक खिलाना था। शिव ने शैतानी मुस्कुराहट लेकर तृप्ति के कान में नजदीक आकर कहा आज रात की पार्टी में अपना सारा मीठा एक साथ खिला देना, इसलिए अभी नहीं। इतना सुनकर तृप्ति शरमा गई। इतना कह कर बोला ठीक है, फिर मिलते हैं। शाम को। अभी प्रोफेसर डक्कन का क्लास है। मैं जाता हूं। तृप्ति शिवाय को जाता देख रही थी। तभी तूलिका उसके पास आकर बोली ओहो, आज तो कोई नई दुल्हन की तरह शरमा रही है। तृप्ति ने उसका हाथ पकड़ कर सबसे दूर ले जाकर बोली, क्या मजा ले रहे हैं? ऐसा कुछ नहीं है। तूलिका ने आंख मारते हुए कहा, जैसे मैं इतनी नादान हूँ, तेरे और शिवाय की पार्टी का मतलब नहीं समझूंगी। तो शिवाय तेरा पहला प्यार बन ही गया। तृप्ति ने हँसते हुए कहा। ये कैसी बातें कर रही है तू? भांग खाई है क्या? तूलिका ने मुँह बनाते कहा, मैंने ऐसा क्या कह दिया? तृप्ति अपने चारों ओर देख कर बोली, देख, तू मेरी पक्की सहेली है, इसलिए बता रही हूँ। शिवाय बड़ी मोटी हस्ती है। आज देखा ना मेरे जन्मदिन पर कैसे हजारों लुटा दिए और अगर वह बदले में कुछ भी ले लेगा तो कुछ मेरा कम तो नहीं हो जाएगा। तूलिका की सुनते सुनते आँखें बड़ी होती जा रही थी। वैसे भी मम्मी को मेरी शादी की जल्दी है। उन्होंने पिछले हफ्ते मेरी सगाई भी करा दी। तृप्ति ने अपने बैग में ही बड़ी सी सगाई की अंगूठी एक झलक में दिखाते हुए कहा। इस बात से तूलिका के अंदर बम फूट पड़ा। वह इतना ही बोल पाई, क्या सच में? तृप्ति ने अपने बाल झटकते हुए कहा, हाँ यार, उस चिरकुट ने सरकारी नौकरी क्या दिखाई, मेरा खानदान उसके पैरों तले आ गया। मुझ जैसी शक्ति को अब उसके साथ एक छत के नीचे रहना होगा। सोच कर ही भेजा फ्राई हो जाता है। तूलिका ने अपने लेवल की समझदारी दिखाते हुए कहा, अरे जब पसंद नहीं आया लड़का तो शादी से मना भी तो कर सकती थी। तृप्ति बोली मैं तो मुँह पर ही मना करने वाली थी। पर मेरी दीदी ने समझाया कि देख लड़का हैंडसम हो ना हो पैसे वाला होना चाहिए वरना प्यार से कोई महंगी महंगी ज्वेलरी लम्बी गाड़ी थोड़े ही खरीद सकता है। कुछ दिन बाद ना तू उतनी सुंदर रहेगी ना जवान। फिर हजारों का ब्यूटी पार्लर का खर्चा कौन उठाएगा? तो मेरी तरह तू भी बड़े घर में जाकर ऐश कर। तृप्ति ने गहरी सांस लेते हुए बात पूरी की। तूलिका कुछ बोलने से झिझक रही थी तो बोली फिर सिवाय तृप्ति ने शिवाय के सपने को देखते हुए कहा, शिवाय का सीना देखा है। उसके सामने मेरा वाला तो झींगुर लगता है। लगता है शिवा के सीने में खुद को ऐसे चिपका लूँ की कभी अलग ही ना हो। पर फिर भी यह सब मैं इसलिए कर रही हूँ क्योंकि मुझे अपनी वर्जिनिटी उस चिरकुट को नहीं देनी है। अब चल जल्दी मुझे रात के लिए कुछ ड्रेस खरीदनी है। यह कहकर तूलिका को खींचते हुए कैंटीन के बाहर ले गई। एक लड़का जो पृथ्वी को जानता था। तृप्ति और तूलिका की सारी बातें छुप कर सुन लिया और पृथ्वी को बता दिया। जाकर पृथ्वी गुस्से से भन्ना रहा था, इसलिए सीधे अनुज के पास जाकर उसका हाथ पकड़ कर एकांत में ले गया और सारी बात वैसे ही बता दी। यह बात सुनकर अनुज के आंखों से पानी झलकने लगा और वह अभी आता हूं कह कर वहां से कहीं चला गया। कॉलेज खत्म हो चुका था। अभी तक अनुज का कुछ पता ही नहीं था। पृथ्वी को उसकी बहुत चिंता थी। वह उसे पागलों की तरह हर जगह ढूंढ रहा था। अब धीरे धीरे अंधेरा भी बढ़ रहा था तो पृथ्वी की बुद्धि ने भी काम करना बंद कर दिया और वही मैदान में जमीन पर लेट कर हांफने लगा। तभी उसे हॉस्टल की छत पर कोई
3) https://www.youtube.com/watch?v=PwWugdVb3K0
आपका एक लाइक और कमेंट मुझे नेक्स्ट वीडियो बनाने पर मजबूर करता है तो प्लीज लाइक और कमेंट जरूर करें और अगर आप चैनल पर नए हैं तो चैनल को सब्सक्राइब करना ना भूले और साथ ही में बेल आइकन को प्रेस करके नोटिफिकेशन को ऑल पर सेट करें ताकि आपको हर वीडियो का नोटिफिकेशन मिलता रहे। जैसे ही हम एक नया वीडियो अपलोड करते हैं, ट्रेन के एसी कंपार्टमेंट में मेरे सामने की सीट पर बैठी लड़की ने मुझसे पूछा हेलो, क्या आपके पास इस मोबाइल का सिम निकालने का पिन है? उसने अपने बैग से एक फोन निकाला। वह नया सिम कार्ड उसमें डालना चाहती थी, लेकिन सिम स्लॉट खोलने के लिए पिन की जरूरत पड़ती है, जो उसके पास नहीं थी। मैंने हां में गर्दन हिलाया और अपने बैग से पिन निकालकर लड़की को दे दी। लड़की ने थैंक्स कहते हुए पिन ले ली और सिम डालकर पिन मुझे वापस कर दी। थोड़ी देर बाद वह फिर से इधर उधर ताकने लगी। मुझसे रहा नहीं गया। मैंने पूछ लिया कोई परेशानी? वो बोले सिम स्टार्ट नहीं हो रही है। मैंने मोबाइल मांगा तो उसने मोबाइल दिया। मैंने उससे कहा की सिम अभी एक्टीवेट नहीं हुई है। थोड़ी देर में हो जाएगी। एक्टिवेट होने के बाद आईडी वेरिफिकेशन होगा। उसके बाद आप इसे इस्तेमाल कर सकेंगे। लड़की ने पूछा आईडी वेरीफिकेशन क्यों?
मैंने कहा आजकल सिम वेरीफिकेशन के बाद ही एक्टिव होती है। जिस नाम से यह सिम उठाई गई है, उसका ब्यौरा पूछा जाएगा तो बता देना। लड़की बुदबुदाई बोली वो। मैंने दिलासा देते हुए कहा इसमें कोई परेशानी वाली बात नहीं है। वह अपने एक हाथ से दूसरा हाथ दबाती रही, मानो किसी परेशानी में हो। मैंने फिर विनम्रता से कहा, आपको कहीं कॉल करना है तो मेरा मोबाइल इस्तेमाल कर सकती हैं आप? लड़की ने कहा, जी, फिलहाल नहीं। थैंक यू। लेकिन यह सिम किस नाम से खरीदी गई है, मुझे पता नहीं है। मैंने कहा एक बार एक्टिव होने दीजिए। जिसने आपको यह सिम दिया है उसी के नाम से होगा। उसने कहा ओके कोशिश करते हैं। मैंने पूछा आपका स्टेशन कहां है? लड़की बोली दिल्ली। लड़की ने मुझसे पूछा और आपका? मैंने कहा दिल्ली ही जा रहा हूं। एक दिन का काम है आप दिल्ली में रहते हैं या। लड़की बोली नहीं नहीं, दिल्ली में कोई काम नहीं, ना ही मेरा घर है वहां। तो मैंने उत्सुकता वश पूछा। वह बोली दरअसल यह दूसरी ट्रेन है जिसमें आज मैं हूं और दिल्ली से तीसरी गाड़ी पकड़नी है। फिर हमेशा के लिए आजाद। मैं बोला आजाद। लेकिन किस तरह की कैद से? मुझे फिर जिज्ञासा हुई। किस कैद में थी यह कमसिन अल्हड़ से लड़के लड़की बोली। उसी कैद में थी जिसमें हर लड़की होती है। जहां घरवाले कहे शादी कर लो, जब जैसा कहे वैसा करो। मैं घर से भाग चुकी हूं। मुझे ताज्जुब हुआ मगर अपने ताज्जुब को छुपाते हुए मैंने हंसते हुए पूछा, अकेली भाग रही हैं आप? आपके साथ कोई नजर नहीं आ रहा है। वो बोली अकेली नहीं, साथ में है कोई। मैंने पूछा कौन? मेरे सवाल खत्म ही नहीं हो रहे थे। लड़की बोली दिल्ली से एक और ट्रेन पकड़ेंगे। फिर अगले स्टेशन पर वो जनाब मिलेंगे और उसके बाद हम किसी को नहीं मिलेंगे। फिर मैंने बोला वो तो यह प्यार का मामला है। उसने कहा जी। मैंने उसे बताया की मैंने भी लव मैरिज की है। यह बात सुन कर वो खुश हो गई। बोली वो कैसे और कब? लव मैरिज की बात सुनकर। वो मुझसे बात करने में रुचि लेने लगी। मैंने कहा कब, कैसे कहां? वो मैं बाद में बताऊंगा। पहले आप बताओ आपके घर में कौन कौन है? उसने होशियारी बरतते हुए कहा। वो मैं आपको क्यों बताऊं? मेरे घर में कोई भी हो सकता है। मेरे पापा, माँ, भाई बहन या हो सकता है भाई न हो सिर्फ बहनें हो। या यह भी हो सकता है की बहनें ना हो और दो चार गुस्सा करने वाले बड़े भाई हैं। फिर मैंने काउंटर मारा। मतलब मैं आपका नाम भी नहीं पूछ सकता। वो बोली कुछ भी नाम हो सकता है मेरा। टीना, मीना, रीना कुछ भी। बहुत बातूनी लड़की थी वो। थोड़ी इधर उधर की बातें करने के बाद उसने मुझे टॉफी दी, जैसे छोटे बच्चे देते हैं क्लास में। बोली आज मेरा बर्थडे है। मैंने उसकी हथेली से टॉफी उठाते हुए उसे बधाई दी और पूछा कितने साल की हुई हो? वो बोली 18। मतलब भागकर शादी करने की कानूनी उम्र हो गई है आपकी। वो हंसने लगी। कुछ ही देर में काफी फ्रैंक हो चुके थे हम दोनों जैसे। बहुत पहले से जानते हों एक दूसरे को। मैंने उसे बताया मेरी उम्र 35 साल है यानी 17 साल आपसे बड़ा हूं। उसने चुटकी लेते हुए कहा, लग तो नहीं रहे हो? मैं मुस्कुरा दिया। मैंने उससे पूछा, तुम घर से भाग कर आई हो? तुम्हारे चेहरे पर चिंता के निशान जरा भी नहीं है। इतनी बेफिक्री मैंने पहली बार देखी है। खुद की तारीफ सुनकर वह खुश हुई। बोली, मुझे उन जनाब ने मेरे लवर ने पहले ही समझा दिया था की जब घर से निकलना तो बिलकुल बिंदास रहना। घरवालों के बारे में बिलकुल मत सोचना। बिलकुल अपना मूड खराब मत करना। सिर्फ मेरे और हम दोनों के बारे में सोचना और वही कर रही हूँ। मैंने फिर चुटकी ली। कहा उसने तुम्हें मुझ जैसे अनजान मुसाफिरों से दूर रहने की सलाह नहीं दी। उसने हंसकर जवाब दिया, नहीं। शायद वो भूल गया होगा यह बताना। मैंने उसके प्रेमी की तारीफ करते हुए कहा, वैसे तुम्हारा बॉयफ्रेंड काफी टैलेंटेड है। उसने किस तरह से तुम्हें अकेले घर से रवाना किया। नई सिम और मोबाइल दिया। तीन ट्रेन बदलवाई ताकि कोई ट्रेक ना कर सके। वेरी टैलेंटेड पर्सन। लड़की ने हामी भरी। बोली बहुत टैलेंटेड है वो। उसके जैसा कोई नहीं। मैंने उसे बताया की मेरी शादी को 10 साल हुए हैं। एक बेटी है आठ साल की और एक छोटा बेटा एक साल का। यह देखो उनकी तस्वीर मेरे फोन पर बच्चों की तस्वीर देखकर उसके मुंह से निकल गया सो क्यूट। मैंने उसे बताया कि यह जब पैदा हुई तब मैं कुवैत में था। एक पेट्रोल कंपनी में बहुत अच्छी जॉब थी। मेरी बहुत अच्छी सैलरी थी। फिर कुछ महीनों बाद मैंने वो जॉब छोड़ दी और अपने ही कस्बे में काम करने लगा। लड़की ने मुझसे पूछा जॉब क्यों छोड़ी? मैंने कहा बच्ची को पहली बार गोद में उठाया तो ऐसा लगा जैसे मेरी दुनिया मेरे हाथों में है। 30 दिन की छुट्टी पर घर आया था। वापस जाना था, लेकिन जा न सका। इधर बच्ची का बचपन खर्च होता रहे, उधर मैं पूरी दुनिया का माल हूँ। तब भी घाटे का सौदा था। मेरी दो टके की नौकरी। बचपन उसका लाखों का। उसने पूछा, क्या बीवी बच्चों को साथ नहीं ले जा सकते थे वहां? मैंने कहा, काफी टेक्निकल मामलों से गुजर कर एक लंबे समय के बाद रख सकते हैं। उस वक्त यह मुमकिन नहीं था। मुझे दोनों में से एक को चुनना था। आलीशान रहन सहन के साथ नौकरी या परिवार। मैंने परिवार चुना अपनी बेटी को बड़ा होते देखने के लिए। मैं कुवैत वापस गया था, लेकिन अपना इस्तीफा देकर लौट आया। लड़की ने कहा इंप्रेसिव। मैं मुस्कुरा कर खिड़की की तरफ देखने लगा। लड़की ने पूछा अच्छा आपने तो लव मैरिज की थी ना? फिर आप भागकर कहां गए, कैसे रहे और कैसे गुजारे वो वक्त? उसके हर सवाल और हर बात में मुझे महसूस हो रहा था कि यह लड़की लड़कपन के शिखर पर है। बिल्कुल नासमझ और मासूम। छोटी बहन से मैंने उसे बताया की हमने भागकर शादी नहीं की और यह भी कि उसके पापा ने मुझे पहली नजर में सख्ती से रिजेक्ट कर दिया था। वह बोली उन्होंने आपको रिजेक्ट क्यों किया? मैंने कहा रिजेक्ट करने का कुछ भी कारण हो सकता है। मेरा जाति, मेरा काम, घर परिवार। लड़की ने सहमति दर्ज कराई और आगे बोली, बिल्कुल सही। फिर आपने क्या किया? मैंने कहा मैंने कुछ नहीं किया। उसके पिता ने रिजेक्ट कर दिया। वहीं से मैंने अपने बारे में अलग से सोचना शुरू कर दिया था। खुशबू ने मुझे कहा की भाग चलते हैं। मेरी वाइफ का नाम खुशबू है। मैंने दो टूक मना कर दिया। वो दो दिन तक लगातार जोर देती रही की भाग चलते हैं। मैं मना करता रहा। मैंने उसे समझाया की भागने वाले जोड़े में लड़के की इज्जत पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता जबकि लड़की के पूरे कुल की इज्जत धुल जाती है। भागने वाला लड़का उसके दोस्तों में हीरो माना जाता है लेकिन इसके विपरीत जो लड़की प्रेमी संग भाग रही है वो कुलटा कहलाती है। मोहल्ले के लड़के उसे चालू कहते हैं। बुराइयों के तमाम शब्दकोष लड़की के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। भागने वाली लड़की आगे चलकर 60 साल की बुड्ढी भी हो जाएगी। तब भी जवानी में किए गए उस कांड का कलंक उसके माथे पर से नहीं मिटता। मैं मानता हूँ की लड़का लड़की को तौलने का यह दोहरा मापदंड गलत है लेकिन हमारे समाज में है तो यही। यह नजरिया गलत है। मगर सामाजिक नजरिया यही है। वह अपने नीचे का होंठ दांतों तले पीसने लगे। उसने पानी की बोतल का ढक्कन खोल कर एक घूंट पिया। मैंने कहा, अगर मैं उस दिन उसे भगा ले जाता तो उसकी मां तो शायद कई दिनों तक पानी नहीं पी पाती। इसलिए मेरी हिम्मत ना हुई कि ऐसा काम करूं। मैं
4) https://www.youtube.com/watch?v=EaYFJ_znxNE
आपका एक लाइक और कमेंट मुझे नेक्स्ट वीडियो बनाने पर मजबूर करता है तो प्लीज लाइक और कमेंट जरूर करें और अगर आप चैनल पर नए हैं तो चैनल को सब्सक्राइब करना ना भूले और साथ ही में बेल आइकन को प्रेस करके नोटिफिकेशन को ऑल पर सेट करें ताकि आपको हर वीडियो का नोटिफिकेशन मिलता रहे। जैसे ही हम एक नया वीडियो अपलोड करते हैं, टाइपिंग कोचिंग सेंटर में विजय का पहला दिन था। वह अपनी सीट पर बैठा टाइप सीखने के लिए टाइप वाला किताब पढ़ रहा था। तभी उसकी निगाह अपने केबिन के गेट की तरफ गई। कजरारे नैनों वाली एक सांवली लड़की उसके केबिन में आ रही थी। लड़की उसकी बगल वाली सीट पर आकर बैठ गई। टाइपराइटर को ठीक किया और टाइप करने में व्यस्त हो गई। विजय का मन टाइप करने में नहीं था। वह किसी भी हालत में लड़की से बातें करना चाहता था। वह टाइपराइटर पर कागज लगा कर बैठ गया और लड़की को देखने लगा। लड़की की उंगलियां टाइपराइटर के कीबोर्ड पर ऐसे पढ़ रही थी जैसे हारमोनियम बजा रही हो। थोड़ी देर बाद लड़की गुस्से से बोली क्या देख रहे हो? विजय बोला आपको टाइप करते हुए देख रहा हूं। वह बोली यहां क्या करने आए हो? विजय बोला, टाइप सीखने। फिर वह बोली, ऐसे सीखोगे? लड़की के स्वर में तल्खी बरकरार थी। विजय बोला, मेरा आज पहला दिन है, इसलिए मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है। आप टाइप कर रही हैं तो मैं देखने लगा कि आपकी उंगलियां कैसे पड़ती है कीबोर्ड पर। आपको टाइप करते देख कर लगा मैं भी सीख जाऊंगा। वह लड़की बोली, यदि इसी तरह मुझे ही देखते रहे तो आपकी यह मनोकामना कभी पूरी ही नहीं होगी। लड़की फिर टाइप करने में जुट गई। विजय भी कीबोर्ड देख कर टाइप करने लगा। टाइप करने में उसका मन ही नहीं लग रहा था। बेचैनी सी महसूस कर रहा था। 10 मिनट बाद ही उसने टाइपराइटर का रिबन फंसा दिया। वह लड़की बोली, रिबन तो फंसेगा ही, जब ध्यान कहीं और होगा। लड़की उसके टाइपराइटर को थोड़ा अपनी ओर खींचकर रिबन ठीक करने लगे। इसी बीच रिबन नीचे गिर गया। वह उसे उठाने के लिए नीचे झुकी तो विजय भी रिबन को उठाने के लिए नीचे झुका। उसकी निगाह अकस्मात ही लड़की की निगाह से मिल गई। वह सकपका गया। लड़की ने कहा, लो, ठीक हो गया। तब तक विजय की चेतना वापस लौटी। लड़की फिर टाइप करने में लग गई। लेकिन विजय का मन टाइप में नहीं लगा। वह लड़की से बात करने की ताक में ही लगा रहा। लड़की बोली, मन नहीं लग रहा है। अचानक लड़की ने उससे पूछा तो विजय खिल गया। विजय बोला, लगता है कि सीख नहीं पाऊंगा। वह बोली, आसार तो कुछ ऐसे ही दिखते हैं। विजय ने बात को बढ़ाने के लिए सवाल किया। आपका नाम? वह बोली, मेरा नाम सरिता है। विजय बोला अच्छा नाम है। वह बोली, लेकिन मुझे इस नाम से नफरत है। विजय बोला क्यों? वह बोली, कोई एक कारण हो तो बताएं। यह कहते हुए सरिता अपनी सीट से उठी और पर्स कंधे पर टांगते हुए केबिन से बाहर निकल गई। विजय उसे जाते हुए देखता रहा। उसके जाने के बाद उसने टाइपराइटर पर नजर डाले तो टाइपराइटर उसे उदास लगा और दुनिया बदल गई। इसी दिन से विजय हवा में उड़ने लगा। रातों को छत पर घूमने लगा। तारे गिनता और उनसे बातें करता। चांदनी रात में बैठकर कविताएं लिखता। गर्मी की धूप उसे गुनगुनी लगने लगी। दुनिया गुलाबी हो गई तो जिंदगी गुलाब का फूल। आंखों से नींद गायब हो गई। वह खयालों ही खयालों में पैदल ही कई किलोमीटर दूर घूम आता। अपनी इस स्थिति के बारे में उसने अपने दोस्त को जब बताया तो उसने कहा, गुरु तुम्हें प्यार हो गया है। दोस्त की बात सुनकर उसे अच्छा लगा। अगले दिन विजय ने सरिता से कहा की आप पर एक कविता लिखी है। चाहता हूं कि आप इसे पढ़ें। वह बोली यह भी खूब रही। जान न पहचान तू मेरा मेहमान। कितना जानते हैं आप मुझे? वह बोला, जो भी जानता हूं, उसी आधार पर लिखा है। सरिता उसकी लिखी कविता पढ़ने लगी। कविता के नीचे उसने विजय की जगह सागर लिखा था। सरिता ने उसे देखा और कागज विजय की तरफ बढ़ा दिया। विजय ने कहा की मैं चाहता हूँ की आप इसे टाइप कर दें। इसे छपने के लिए भेजना है। सरिता कुछ नहीं बोली। कागज को सामने रख कर टाइप करने लगी। विजय उसे देखता रहा। इस बात का आभास सरिता को भी था की विजय उसे देख ही रहा है। लेकिन उसने कोई विरोध करने के बजाय पूछा की आप कवि हैं? विजय बोला बनने की कोशिश कर रहा हूँ। वो बोली कवि भगोड़े होते हैं। उसकी इस टिप्पणी से विजय सकपका गया। वो बोली कवि अपने सुख के लिए कविता रचता है। रचते समय वह कविता के बारे में सोचता है। उसके बाद वह कविता को उसके हाल पर छोड़ देता है। कविता जब संकट में होती है तो कवि कविता के पक्ष में खड़ा नहीं होता। विजय बोला यह आप कैसे कह सकती हैं? वह बोली मैं समझती हूँ की आदमी की जिंदगी भी एक कविता ही है। मेरी जिंदगी एक कविता है। मेरी जिंदगी मुझे अच्छी नहीं लगती इसलिए कविता भी मुझे अच्छी नहीं लगती। विजय बोला अरे वाह! आप तो कवि हैं। अभी आपने जो कहा वह तो कविता है। वह बोली कविता नहीं, कविता का प्रलाप है उसकी वेदना जो उस कवि के कारण उपजी है। जिसने मेरी जिंदगी की रचना की। इतना कह कर सरिता केबिन से बाहर चली गई। विजय ने सरिता के टाइपराइटर को देखा। सोचा कैसी है यह? लगा जैसे टाइपराइटर किसी शोक गीत की रचना में मशगूल है। आज उन्होंने बातें अधिक की। उनके वार्तालाप को देख कर टाइपिंग इंस्टिट्यूट चलाने वाले मैडम ने उनके पास आकर कहा की आजकल तो तुम काफी खुश हो। सरिता बदले में सरिता केवल मुस्कुराई। विजय भी मुस्कुराया। वह सोचा तो क्या मेरे प्यार की गांधी से भी लग गई। अगले दिन सरिता जब इंस्टीट्यूट आई तो काफी सजी धजी थी। नया गुलाबी सूट पहने थी। बालों का स्टाइल बदला हुआ था। विजय को सरिता का यह बदला रूप अच्छा लगा। वह अपनी भावनाओं को दबा नहीं पाया। बोला काफी सुंदर लग रही हो। जवाब में जब सरिता ने मुस्कुराते हुए थैंक्यू का फूल जब उसकी तरफ फेंका तो उसकी इच्छा हुई की वह खड़ा होकर नाचने लगे और जोर जोर से चिल्लाया की उसे प्यार हो गया है। आदमी जब निराश होता है या फिर लक्ष्य के प्रति उसकी स्थितियां साफ नहीं होती हैं तो वह धर्म और ज्योतिषी के शरण में चला जाता है। विजय की भी कुछ हालत ऐसी ही थी। वह सरिता को चाहने लगा था, लेकिन सरिता भी उसे चाहती है, यह स्पष्ट नहीं था। वह अपनी बेरोजगारी से भी परेशान था। घरवाले शादी के लिए अलग से दबाव डाल रहे थे। लिहाजा एक दिन वह ज्योतिषी के पास चला गया। नौकरी पाने के लिए वह ज्योतिषी से नुस्खे पूछता रहा। उसने सोचा कि प्रेम पाने के लिए भी ग्रह नक्षत्रों की चाल जान ली जाए। नौकरी के लिए तो ज्योतिषी कभी कहता है कि आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है, जो आपके शुभ कार्यों में बाधक है। इसकी शांति के लिए घर में मोर पंख रखें और प्रतिदिन उसे दो तीन बार अपने शरीर पर घुमाएं। सोमवार के दिन चांदी से बना सर्प का जोड़ा शिवलिंग पर चढ़ाएं। नित्य श्री गणेश जी का उपासना करें। धैर्यपूर्वक ऐसा करने पर ही रोजगार की प्राप्ति होगी। विजय ने अभी तक उसके बताए हर नुस्खे को आजमाया, लेकिन आज तक कोई संभावना नहीं बनी। शिकायत करने पर वह कह देता है की आप पर भाग्येश शुक्र की महादशा चल रही है। शुक्र के बल वर्धन के लिए शुक्रवार के दिन साढ़े पांच रत्ती का ओपल चांदी में जड़ कर दाहिने मध्यमा में धारण करें। विजय बोला पंडित जी मेरी कुंडली में प्रेम है की नहीं? पंडित जी बोले है ना बहुत है। कुंडली पर सरसरी नजर डालते हुए ज्योतिषी ने कहा प्रेम विवाह का योग है, लेकिन कुछ बाधाएं हैं। विजय बोला प्रेम विवाह में क्या लफड़ा है? पंडित जी बोले आप पर शुक्र की महादशा चल रही है जो अशुभ फलप्रद है। गोचर में भी आपकी राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है। शनि शांति के लिए प्रत्येक शनिवार को कुत्तों को सरसों के तेल से बना मीठा पराठा खिलाएं। ग्रह शांति के उपरांत ही प्रेम में सफलता की संभावना बन सकती है। विजय गुस्साकर बोला सब ढकोसला है। इतने दिनों से आप एक नौकरी के लिए मुझे क्या क्या नहीं करवाते रहे। मिली नौकरी साला चपरासी भी कोई रखने को तैयार नहीं है। भन्नाया हुआ विजय ज्योतिषी के कमरे से निकल गया। घर पहुंचते ही मम्मी कहने लगी, तुम्हारे पिता ने लड़की पसंद कर ली है। उनके दोस्त की बेटी है। बीए करके नौकरी कर रही है। विजय बोला तो मैं क्या करूं? मां बोली शादी कर लो। वह बोला बिना नौकरी मिले यह नहीं हो पाएगा। मां बोली फिर तो पूरी जिंदगी कुंवारे ही रह जाओगे। वह बोला बीवी की कमाई खाने से तो कुंवारा रहना ही अच्छा है। कहते हुए विजय अपने कमरे में चला गया। एक सप्ताह तक सरिता टाइपिंग स्कूल नहीं आई। विजय रोज आता रहा और निराश होकर वापस घर चला जाता। आठवें दिन सरिता के आते ही वह पूछ बैठा कि एक सप्ताह ही नहीं। वह बोली जिंदगी में बहुत दिक्कत है। कहते हुए सरिता अपनी सीट पर बैठ गई। विजय बोला क्या हो गया? वह बोली मेरी बहन जो बीए कर रही है, किसी लड़के के साथ चली गई। दोनों बिना शादी किए ही एक साथ रह रहे हैं। वह बोला ऐसा क्यों किया? सरिता बोली उसका कहना है की अगर वह ऐसा नहीं करती तो उसकी शादी ही नहीं हो पाती। विजय बोला मतलब? सरिता बोली हमारे घर के आर्थिक हालात। इतना कह कर सरिता चुप हो गई। विजय बोला मुझे नहीं लगता की आपकी बहन ने गलत किया है। आज की युवा पीढ़ी। विद्रोही हो गई है। वह परंपराओं को तोड़कर नई नैतिकता गढ़ रही है। समय के साथ सब ठीक हो जाएगा। सरिता बोली। पर मैं तो नहीं समझती। विजय बोला हां, उनके लिए समझना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन आजकल सब चलता है। हमारा समाज बदल रहा है। बिना शादी के एक साथ रहना पश्चिमी परंपरा है। लेकिन अब ऐसा।
5) https://www.youtube.com/watch?v=LCBIVRq9sl0
आपका एक लाइक और कमेंट मुझे नेक्स्ट वीडियो बनाने पर मजबूर करता है तो प्लीज लाइक और कमेंट जरूर करें और अगर आप चैनल पर नए हैं तो चैनल को सब्सक्राइब करना ना भूलें और साथ ही में बेल आइकन को प्रेस करके नोटिफिकेशन को ऑल पर सेट करें ताकि आपको हर वीडियो का नोटिफिकेशन मिलता रहे। जैसे ही हम एक नया वीडियो अपलोड करते हैं जिंदगी क्या है? कुछ लोग कहते हैं की पानी का बुलबुला है, आज है कल नहीं है, कुछ कहते हैं की एक रास्ता है पर यह कैसा रास्ता है जिसकी कोई मंजिल ही नहीं है? यह कैसा रास्ता है जो कभी भी खत्म हो जाता है? कुछ का कहना है की जिंदगी ऊपर वाले का दिया हुआ तोहफा है पर यह कैसा तोहफा है जिसका कोई कदर ही नहीं है। कैसे कोई भी आकर इस तोहफे को तहस नहस कर देता है और क्यों कर देता है? क्या मिलता है आखिर उन लोगों को जो किसी की जान लेने में हिचकते नहीं। ऐसे ही ना जाने कितने ख्याल आते और कुणाल की आंखें नम हो जाती। बहुत कोशिश करता था कुणाल की उभर सके इस हादसे से। पर जिस हादसे में आपने किसी अपने को खोया हो, उससे उबर पाना इतना आसान नहीं होता। एक साल बीत चुका था पर आज भी उस हादसे की तस्वीर कुणाल के मन में पानी की तरह साफ थी। आज भी वो याद उसे बेचैन कर देती थी। रात रात भर सोने नहीं देती थी। आज की रात भी कोई नई बात नहीं थी जो कुणाल घबरा के जाग गया था। फिर से वही सपना देखा था कुणाल। वही लोग, वही तोड़फोड़ करते हुए भी वही लोगों के डरे हुए चेहरे। वही लोगों की चीखें। उठकर बैठ गया कुणाल। अब शायद पूरी रात नींद नहीं आने वाले थे, फिर भी पानी पीकर लेट गया। हमेशा की तरह और नींद आने का इंतजार उस ठुकराए हुए आशिक की तरह करने लगा जो अपने महबूब का इंतजार बड़ी ही शिद्दत के साथ करता था। यह जानते हुए भी कि वह कभी नहीं आएगी। इंतजार के अलावा और कोई रास्ता भी तो नहीं था। रात के दो बज रहे थे। पूरा शहर नींद की आगोश में था, सिवाय कुणाल के। नींद से तो आजकल उसकी बनती ही नहीं थी। जब से यह हादसा हुआ रोज की बात हो चुकी थी। घबरा के जग जाना। रात रात भर नींद नहीं आना। पहले तो सारी सारी रात रोया करता था पर आजकल फोन लेकर बैठ जाता है। रिया के साथ बिताए वो खुशनुमा पल जो कैमरे में कैद कर लिए थे, आज उसके जख्मों पर मरहम का काम करते हैं। कितने खुबसूरत पल थे वो जो उसने रिया के साथ बिताए थे। बस अब तो यही पल, यही यादें तो बची थी उसके पास जिनके सहारे वो जी रहा था। रिया तो जा चुकी थी उससे दूर, सबसे दूर, इस दुनिया से दूर। क्यों? जब हम किसी को बेहद चाहते हैं तो वो हमसे दूर चला जाता है। क्यों छीन लेता है ऊपर वाला उनको जो हमारे दिल के बहुत करीब होते हैं। रिया तो उसकी जिंदगी थी। रिया को छीन के क्या मिल गया उसे भी। उसके बाद वही दिन कुणाल की आंखों के सामने घूमने लगा। जिस वक्त ने रिया को उससे हमेशा के लिए छीन लिया था। कुछ बातें हमारी जिंदगी में होती ही ऐसी हैं, जिन्हें चाह कर भी हम भूल नहीं पाते। कुणाल की जिंदगी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था। जितनी खूबसूरत थी रिया उससे भी ज्यादा शैतान थी। अभी तक बचपना भी नहीं गया था उसका। जहां भी जाती थी कोई ना कोई मुसीबत खड़ी कर देती थी। कई बार तो उसकी हरकतों की वजह से सिर पकड़ कर बैठ जाता था कुणाल। और कर भी क्या सकता था उसे नाराज तो नहीं कर सकता था। जिंदगी जो थी उसकी। लड़कियों को शॉपिंग करने का शौक होता है। पर यह शौक रिया को कुछ ज्यादा ही था। हद से ज्यादा था। बहाने ढूंढा करती थी शॉपिंग करने के। कभी कभी तो कुणाल को बहुत गुस्सा आता था उसकी इन हरकतों पर। एक तो फिजूलखर्ची उस पर से उसका टाइम बर्बाद करती थी। हर बार शॉपिंग करने के लिए कोई ना कोई नया बहाना ढूंढना और जबरन कुणाल को भी अपने साथ ले जाना। अंदर बस यही दो खास काम थे रिया के पास। ऐसा नहीं था कि वो साथ चलने से मना नहीं कर सकता था, कर सकता था, बिल्कुल कर सकता था और कोशिश भी की थी। यहाँ तक की एक दो बार मना भी कर दिया पर रिया की बड़ी बड़ी काली आंखों के सामने उसकी चलती ही नहीं थी। और फिर रिया के चेहरे पर उदासी सूट भी तो नहीं करती थी वह। चेहरा सिर्फ खिले रहने के लिए बना था, उदास होने के लिए नहीं। इस बार भी रिया को शॉपिंग करने जाना था। बहाना था कजिन की शादी। रिया की शॉपिंग की फरमाइश पर कुणाल ने झल्ला कर कहा, क्या फिर से शॉपिंग करने जाना है? अभी दो महीने पहले ही तो अपनी फ्रेंड की शादी पर शॉपिंग की थी तुमने। अब फिर से जाना है। रिया बोली तब तो मेरी फ्रेंड की शादी थी और अब तो शादी मेरे कजिन की है और मेरे पास कुछ भी अच्छा पहनने के लिए नहीं है। रिया की इस बात पर जब कुणाल ने उसे घूर के देखा तो पहले तो वो हल्का सा मुस्कुराई और फिर खिलखिला कर हंस पड़ी। बिल्कुल किसी छोटे बच्चे की तरह। वह बोली। गर्मी कितनी बढ़ गई है ना? चलो आइसक्रीम खाते हैं। ढेर सारी शॉपिंग, बहुत सारे पैसे और कुणाल के कीमती वक्त की बर्बादी के बाद रिया की अगली फरमाइश कुणाल के सामने खड़ी थी। कुणाल बोला, पहले तुम अपनी शॉपिंग कर लो, उसके बाद और वैसे भी मेरा काम आइसक्रीम से नहीं चलने वाला। मुझे बहुत भूख लगी है। कुणाल की बातों में भूख की वजह से बड़ी खीझ साफ दिखाई दे रही थी। रिया बोली, तो चलो पहले कुछ खा कर आते हैं। कुणाल बोला पर तुम्हारी शॉपिंग का क्या? रिया बोली, वो बाद में। कहते हुए रिया ने कुणाल का हाथ पकड़ा और बिल्कुल उसी तरह उसे अपने साथ खींच कर ले जाने लगी जैसे कॉलेज में ले जाया करती थी। यह यादें ही तो थी जो कुणाल को ना जीने दे रही थी और ना मरने दे रही थी। रिया की वह आखिरी मुस्कुराहट आज भी कुणाल की नम आंखों में तैरती दिखाई देती थी। रिया का प्यार आज भी कुणाल के जेहन में जिंदा था। अगर कुछ मर गया था तो जीने का मकसद। रिया के जाने के बाद कुणाल सिर्फ एक जिंदा लाश बन के रह गया था। खाना खत्म होते ही रिया ने आदेश सुना दिया। चलो अब आइसक्रीम खा के आते हैं। किस कमबख्त की मजाल हो सकती थी जो नाफरमानी कर जाए। कम से कम कुणाल की तो बिलकुल नहीं थी। इस ड्रेस के साथ ये ज्वेलरी पहनूंगी। उस वाली ड्रेस के साथ वो ज्वेलरी पहनूंगी। तुम्हारे साथ इस गाने पर डांस करूंगी। मिली के साथ उस गाने पर डांस करूंगी। वजन बढ़ रहा है तो मिठाई कम खाऊंगी और भी ना जाने क्या क्या बक बक कर रही थी। रिया आगे आगे और कुणाल उसके पीछे पीछे सामान उठाए चल रहा था। रिया बोली अच्छा तुम यहीं रुको, मैं आइसक्रीम लेकर आती हूं। गाड़ी के पास आते ही रिया को ना जाने अचानक क्या सूझा। कुणाल को गाड़ी में बैठने के लिए कहकर सामने बने आइसक्रीम पार्लर की तरफ अकेली चली गई। कुणाल बोला अरे रुको यार, मैं भी आता हूं साथ चलने के लिए। पर इतना सुनने के लिए रिया वहां होनी भी तो चाहिए थी। वो तो तूफान महल की तरह हवा हो चुकी थी
6) https://www.youtube.com/watch?v=GkpQ53LcaHQ
मेडिकल स्टोर से दवा खरीद कर वह पीछे घुमा और उसकी नजरें उससे टकरा गई। वह हिरनी जैसी बड़ी बड़ी आंखें उसके अंतर्मन में बस गई। काले रंग का बुर्का पहने उसके चेहरे पर आंखों के अलावा कुछ भी तो नहीं दिखता था। अगले दिन कॉलेज के बगल में बसे स्टेट बैंक के चालान काउंटर पर स्टूडेंट्स की भीड़ के बीच खड़ा वह अपनी बारी का प्रतीक्षा कर रहा था। कॉलेज ने फीस जमा करने के लिए एक नया फरमान जारी किया था। अब फीस केवल चालान के माध्यम से ही जमा होगी। बैंक ने भी यह सेवा सप्ताह में केवल एक दिन देने का ही निर्णय किया था। बड़ी मुश्किल से उसने फीस जमा की और बाहर निकला। सिर झुकाए चैनल गेट पार करने की फिराक में वह किसी से टकरा गया। सॉरी सॉरी बोलते हुए उसने सिर उठाया और वही जानी पहचानी। बड़ी बड़ी आँखें उसे अपनी ओर देखती दिखी। दो दिन में दो बार उसका सामना उन बड़े बड़े आंखों से हुआ था। वह बाहर साईकिल स्टैंड पर आया और साईकिल उठाकर पैदल ही फुटपाथ पर चलने लगा। अचानक पीछे से एक तेज रफ्तार बाइक आई और अनियंत्रित होकर ठीक उसकी बगल में खड़े बिजली के पोल से टकरा गई। बाइक सड़क पर गिरी और बाइक के पीछे बैठे आदमी का सिर पोल से जा भिड़ा। अफरा तफरी मच गई। उस समय उसने इंसानियत के नाते उसे घायल और बेहोश बुजुर्गवार को अस्पताल पहुंचाया। उनकी हालत गंभीर थी। उनकी जेब में पड़े छोटे से फोन से उसने उनके घर इस हादसे की सूचना दी। एक घंटे में उन घायल बुजुर्ग के परिजन अस्पताल पहुंचे। डाक्टरों की टीम ऑपरेशन की तैयारी कर रही थी और इस क्रम में ए पॉजिटिव ग्रुप के खून की मांग की गई। शाम के पांच बजे थे। डॉक्टरों के अनुसार उन्हें तत्काल खून चाहिए था। बुजुर्ग के परिजनों ने अपना अपना ब्लड टेस्ट करवाया, लेकिन किसी का भी ब्लड पॉजिटिव नहीं ठहरा। उसने भी टेस्ट करवाया और ग्रुप मैच कर गया। समस्या का तत्कालीन समाधान हो गया था। ब्लड डोनेट करने के बाद वह बाहर आया और बिना किसी से कुछ बोले बाहर की ओर भागा। क्योंकि घटनास्थल पर उसी बिजली के पोल के सहारे वह ताला लगाकर अपनी साइकिल खड़ा करके आया था। वह हॉस्पिटल गेट तक पहुंचा ही था की पीछे से किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा। वह पीछे घूमा और एक बार फिर उसकी आंखें उन बड़ी बड़ी आंखों से टकरा गई। इस बार उसे एक मीठी आवाज भी सुनाई दी। शुक्रिया। बहुत बहुत शुक्रिया। वह बोला। किस बात की शुक्रिया। वह बोली आप मेरे अब्बू को अस्पताल लेकर आए। अपना खून दिया। इस बात का शुक्रिया। फिर वो बोला एक शर्त पर शुक्रिया। कुबूल है की आप पहले अपना नाम बताइए। वो बोली जी मेरा नाम नूरी है और आप। वो बोला मेरा नाम प्रकाश है। फिर वो बोली जी एक बार फिर शुक्रिया और हंसते हुए उसने चेहरे से नकाब हटाई। उसका दिल जोर से धड़का और वो मुंह फाड़े एक टक नूरी का नूरानी चेहरा देखने लगा। अपने आप को काबू में कर वो नूरी से बोला अब इजाजत दीजिए। वो बोली ठीक है जाइए। अब्बू ऑपरेशन थियेटर में हैं। मेरी गुजारिश है प्लीज एक कप चाय ही पी लीजिए। प्रकाश इनकार नहीं कर सका। वे दोनों एक रेस्टोरेंट के कोने में बैठे चाय पी रहे थे। दोनों के बीच गहरी खामोशी अपना दामन फैलाए खड़े थे, लेकिन उनकी आंखें आपस में बातें कर रही थी। चाय का कप खाली हो गया। वेटर कप प्लेट उठा ले गया, लेकिन आंखों की बातें खत्म ही नहीं हो रही थी। अचानक नूरी की नजरें झुक गई। प्रकाश को लगा वह किसी सम्मोहन से बाहर निकल आया है। नूरी ने खामोशी से उसकी जेब से पेन निकाला और उसका दायां हाथ अपने बाएं हाथ में पकड़ा। प्रकाश के शरीर में एक सिहरन सी दौड़ गई। नूरी ने उसकी हथेली पर अपना नंबर लिख दिया और उसे। पेन पकड़ाकर अपनी हथेली उसके आगे कर दी। प्रकाश अपनी हथेली देख रहा था और वह अपनी दोनों। रेस्टोरेंट से बाहर आए। प्रकाश एक बार फिर एकटक उसका चेहरा देखने लगा। वह बोली, अब इजाजत है, आप जा सकते हैं। प्रकाश ऑटो में सवार हुआ और साइकिल लेकर घर पहुंचा। प्रकाश की कहानी बड़ी कारुणिक थी। अपनी मां को उसने कभी नहीं देखा था। जब वह चार साल का था, तभी उसके पिता ने दूसरा विवाह कर लिया था। कुछ दिन तक तो सब ठीक चला। फिर जब प्रकाश 12 साल का हुआ, तब तक उसके दो सौतेले भाई संसार में आ चुके थे। धीरे धीरे सौतेली मां की निगाह बदलने लगी और जब वह 15 साल का हुआ और जिस दिन उसने हाईस्कूल प्रथम श्रेणी से पास किया, उसी के एक सप्ताह बाद उसके पिता की हार्ट अटैक से मौत हो गई। और प्रकाश के बुरे दिन शुरू हो गए। एक दिन मजबूर होकर उसे घर छोड़ना पड़ा। उसे अब जिंदगी के साथ एडजस्ट करने की आदत डालनी थी और उसने बखूबी एडजस्ट किया। छोटे बच्चों का होम ट्यूटर बनकर और छोटे मोटे पार्ट टाइम काम करके उसने अपनी पढ़ाई जारी रखी। अब वो एक इंस्टिट्यूट से फाइन आर्ट्स की मास्टर डिग्री पूरा कर रहा था। यह कॉलेज आर्ट्स का टॉप कॉलेज था और एक प्रतिष्ठित कला संस्थान था। ग्रेजुएट होते ही उसने कई कंपनियों में आर्ट डिजाइन का ऑनलाइन काम शुरू किया। जो ठीक ठाक चल रहा था। उसे अब जीने के लिए कोई और काम नहीं करना पड़ता था। नूरी की आँखों में खोया वो घर पहुंचा। दो कमरे का फ्लैट उसने अपनी मेहनत से खरीदा था। उसका जीवनस्तर बहुत साधारण सा था। घर पहुंचकर उसने चाय बनाई और प्याली पकड़े अपने आर्ट स्टूडियो में घुसा। कैनवास के सामने खड़ा वह कपड़े से ढकी एक पेंटिंग पर उंगलियां फिरा रहा था। उसने पेंटिंग से कपडा हटाया और एक बार फिर उसका उन्ही दो बड़ी बड़ी आंखों से सामना हुआ। उस दिन रात 02:00 बजे तक वह पेंटिंग करता रहा। अब उन आंखों के इर्दगिर्द नूरी का चेहरा आकार ले चुका था। उसने दाएं हाथ की हथेली खोली और उसका दिल धक से रह गया। नूरी का नंबर मिट गया था। केवल उसकी परछाई बाकी थी। वह भी स्पष्ट नहीं थी। एक लंबी सांस खींचकर वह किचन में आया। जो कुछ खाने पीने का लायक मिला, खाया और सो गया। सुबह 11:00 बजे वह कॉलेज पहुंचा और कुछ सोच कर शाम 04:00 बजे वह हॉस्पिटल पहुंच गया। रिसेप्शन पर उसे पता चला जिनका कल ऑपरेशन हुआ था, वे प्राइवेट वार्ड नंबर 3 में थे। वह वार्ड में पहुंचा। नूरी अपने अब्बू के सिरहाने बैठी थी। प्रकाश को देख कर उसके चेहरे पर एक अनोखी चमक आ गई। सुखदुख चर्चा के दौरान उसे पता चला कि उसके अब्बू अब खतरे से बाहर हैं। आधे घंटे वहां ठहर कर वो नूरी से बोला, इजाजत दीजिए। अब चलता हूं। वो बोली ठीक है, चले जाइए। मेरी गुजारिश है कि अभी वो इतना ही बोल पाई थी कि प्रकाश जल्दी से बोला एक कप चाय पिला ही दीजिए। तभी नूरी की अम्मी दोनों हाथों में झोला पकड़े आईं। उन्होंने झोला रखकर सवालिया नजरों से प्रकाश को देखा। नूरी बोली अम्मी ये प्रकाश है। कल ये ही अब्बू को लेकर अस्पताल आए थे और खून दिया था। नूरी ने बड़े संजीदगी से ये बात अपनी मम्मी को बताई। अम्मी के चेहरे पर आभार के भाव आ गए और प्रकाश ने उनका अभिवादन किया। कुछ देर बाद वे दोनों उसी रेस्टोरेंट में उसी कोने वाली टेबल पर बैठे थे। प्रकाश ने अपनी सरपट हथेली उसके आगे रखी और बोला प्लीज नंबर एक बार फिर लिख दीजिए। नूरी ने अपना फोन निकाला। प्रकाश का नंबर मिलाया। घंटी बजी। फिर भी बैग से उसने एक परमानेंट मार्कर निकाला और प्रकाश की हथेली को अपने हाथ में पकड़ कर अपना नंबर लिख कर बोले अब हाथ भी धोएंगे तब भी नंबर नहीं मिटेगा। एक बार फिर उसके स्पर्श से प्रकाश के शरीर में सिहरन सी दौड़ गई। उस रात उसने वो नंबर मिलाया। घंटी भी बजी और आवाज आई। बड़ी देर कर दी फोन करने में। प्रकाश कुछ नहीं बोला तो आवाज आई हेलो! सुन रहे हैं ना? प्रकाश बोला हाँ, पाँच मिनट इधर उधर की बातें हुई और वार्तालाप बंद हो गया। इसी बीच अपने काम के सिलसिले में प्रकाश मुंबई चला गया और 15 दिन बाद लौटा। नूर के पिता लगभग स्वस्थ हो चुके थे और अपने मेडिकल स्टोर में बैठने लगे थे। नूर उनकी इकलौती बेटी थी जो एक इंस्टिट्यूट से ज्वेलरी डिजाइन का कोर्स कर रही थी। इसी साल वो कोर्स पूरा होने वाला था। प्रकाश मुंबई से लौट कर आया और आते ही सबसे पहले नूर का पोट्रेट देखा और उसे फोन किया। आवाज आई अरे कहाँ गायब हो गए थे। इतना फोन किया आपने उठाया नहीं। प्रकाश ने कहा मुलाकात होगी। वो बोले हां क्यों नहीं होगी? कहां? प्रकाश बोला, शाम 04:00 बजे उसी रेस्टोरेंट में और उसी कोने वाले टेबल पर वो दोनों बैठे। दोनों के बीच खामोशी फैली थी क्योंकि आंखें बात कर रही थी। इस तरह एक ही कॉलेज में पढ़ते हुए दोनों ने अपना अपना कोर्स पूरा किया। अब समय आ गया था रास्ते अलग हो रहे थे। धीरे धीरे मुलाकातें कम होती गई। प्रकाश मुंबई में सेटल हो गया। अब नूर के परिवार में उसकी शादी के चर्चे शुरू हुए। नूरी ना जाने क्यों उदास हो गई। न ही हां बोल रही थी शादी के लिए और ना ही ना बोल रही थी। सैकड़ों बार प्रकाश का नंबर मिलाने के बावजूद बात नहीं हो पा रही थी। हर बार एक ही आवाज आती इस
- https://www.youtube.com/watch?v=NTiAcFYeDJg
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https://youtu.be/Lxwpe6-YKg0?si=w2SBoA8WmGdUQ1uT
https://youtu.be/xammVmHJXZQ?si=5P8icTb7lAlKdsmO
स्टोरी इस ब्यूटी टेलकम। इस लंबी सी जिंदगी में हम बहुत सारे लोगों से मिलते हैं। कुछ लोग अपने हो जाते हैं और कुछ अपने पराए हो जाते हैं। लेकिन एक बात सब मानते हैं कि जिंदगी में दो चीजें आप खुद नहीं चुन सकते अपने मां बाप और अपना बॉस। लेकिन जिंदगी में सबसे जरूरी चीज जो आप चुन सकते हैं, वह है आपकी बेवकूफ, आवारा, बदतमीज। जिंदादिल दोस्त। सोचा ना तो दोस्ती एक गुलदस्ते जैसी होती है। सबकी एक जैसी लेकिन बिल्कुल अलग। एक एक फूल चुनकर आप अपने लिए एक अनोखा गुलदस्ता बनाते हैं तो ऐसा ही मेरा भी था। यह कहानी मेरी बहुत ही करीबी दोस्त की है। क्या कहते हैं बेस्ट फ्रेंड? आप लोगों में से ऐसे कितने लोग हैं जिन्होंने अपने बेस्ट फ्रेंड खोए हैं? और ऐसे कितने लोग हैं जिनके बेस्ट फ्रेंड उनकी जिंदगी में वापस आने की कभी कोशिश की है। यह कहानी मेरी बेस्ट फ्रेंड की मेरी जिंदगी में तीन साल बाद वापस आने की है। कहते हैं ना कि जिंदगी में कुछ लोग आपके जिगर का टुकड़ा लेकर चले जाते हैं जो आप कितनी भी कोशिश कर लो कभी वापस नहीं आ सकता। यह उन दोस्तों में से थी। जान छिड़कती थी मुझ पर। लेकिन तीन साल पहले हमने बातें करना बंद कर दिया। जब दोस्ती से बड़े हो जाते हैं और अपनी दोस्ती के अलावा आप सब पर विश्वास करने लगते हैं। ना तो रिश्ते का अंत होना लाजमी है। उसने मुझे कभी सुना नहीं और मुड़ कर मैंने रोकने की कभी जिद नहीं करी। जिंदगी में मुझे कभी भी किसी चीज के टूटने का उतना अफसोस नहीं हुआ जितना उस रिश्ते का और ना ही कभी किसी को खोने का। लेकिन जब वही इंसान आपकी जिंदगी में वापस आता है ना तो भूचाल आ जाता है। वो सारे हंसी मजाक, किस्से कहानियां, यादें, गुस्सा, नाराजगी सब बक्से में बंद करके कहीं भाग आई थी। सब वापस आ गया था। उसने कहा कि मुझे पता है हम बात नहीं करते। तीन साल पहले बातें बंद हो गई। हमने डिसाइड किया था कि कभी नहीं करेंगे। उसने रियली मिस यू और उसके कहते ही मैं फ्लैशबैक में चली गई। कॉलेज के हम बेस्ट फ्रेंड हुआ करते थे। वो वो दो लोग जिन्हें पूरे कॉलेज में मशहूर जो पूरे कॉलेज में मशहूर थे और एक मिल जाए तो लोग कहते थे दूसरी भी आसपास होगी। ऐसी दोस्ती के बाद जब चीजें खराब होती हैं ना तो रिश्ते वापस ठीक होते नहीं होते। उसके कहने पर मैंने यह सोचा कि काश वो दिन वापस आ पाते। कॉलेज का बंक क्लास करना, स्कूटी पर गेड़ी मारना, सेक्टर 22 की शॉपिंग मॉल में मूवी देखना, सुखना के किनारे लेट जाना, खुले आसमान में पंछियों को उड़ते देखना। हम सब किया करते थे। पर अब सब बदल गया था। उसके आते ही मुझे महसूस हुआ कि न मैं वो हसीन हूँ और शायद ना वो। लेकिन फिर भी क्योंकि दोस्त बहुत करीबी थे। मैंने सोचा कि इसे फिर एक मौका दिया जाए। कश्मकश में यह था कि क्या तुम गुजरे वक्त में वापस जाना चाहती हो? या फिर ठीक है ना? आज जो भी है, जैसा भी है मैं आगे बढ़ चुकी हूँ और शायद वो भी। हम शायद तीन साल बाद पिछले सालों में अपने आप को ढूँढ रहे थे और मुझे नहीं लगता था कि वो हो पाएगा। कुछ वक्त बाद बात करने पर मेरे दिल में कशमकश थी कि क्या तुम सच में यह चाहती हो? लेकिन वो कहते हैं ना कि एव्रीथिंग सेकंड चांस। सब चीज़ों को दूसरा मौका मिलना चाहिए। तो क्या शायद इसे भी लोगों ने हमें यह कभी नहीं सिखाया कि रिश्ते आपको बांधते नहीं है, वो आपको आजाद कर देते हैं और जब आपको रिश्ते बांधने लग जाए ना तो उनसे आजाद होने का आपका वक्त आ गया है। लोगों ने हमें प्यार करना सिखाया है, लेकिन खुद से प्यार करना कभी नहीं सिखाया। पीपल टू लव लव। उस दिन मुझे लगा कि शायद मैं चाहती ही नहीं हूं। लेकिन क्योंकि तीन साल की दोस्ती और इतनी गहरी उस बुनियाद पर मैं वापस चली जाना चाहती हूं। लाइफ आई लव यू नो। राइट टू बी हैप्पी रिलेशनशिप। आई रियली टू बी हैप्पी हैप्पी। कुछ लोग किस्से कहानियों और यादों में ही अच्छे लगते हैं। सामने आ जाए ना तो सूरत कभी अच्छी नहीं हो सकती। और वह उन लोगों में से थी। मैंने कहा कि ठीक है और जानकर अच्छा लगा कि तुम आज भी मुझे याद करती हो। यह चीज शायद मेरे दिल में रह जाएगी। लेकिन मुझसे यह नहीं हो पाएगा। नहीं हो पाएगा। वापस उन दिनों में जाना जब हमारी बातें इतनी बुरी। हुआ करती थी कि टैक्स से मैं डर जाया करती थी। मुझसे नहीं हो पाएगा। चुप थी। दो बातें कही और चली गई। लेकिन जिंदगी से और सीने से मेरे वो बोझ उतर गया जो शायद तीन सालों से उतारना चाहती थी। समटाइम्स लाइफ ओके। इट्स गुड योरसेल्फ समवन बिकॉज इट्स नॉट। इम्पोर्टेन्ट फॉर यू स्टे टॉक्सिक और हार्मफुल फॉर यू। यह जायज लाजमी और जरूरी है कि आप हर उस इंसान या चीज से दूर रहे। जो आपके लिए सही नहीं है। लोग हमें कभी सिखाते ही नहीं, क्योंकि प्यार बहुत जरूरी है। लेकिन खुद से प्यार। जरूरी नहीं और सेल्फिश लोग तो बोलते बहुत हूं क्योंकि ठीक है ना, जो खुद से प्यार नहीं कर पाते। मुझे नहीं पता। वह दूसरों से प्यार कैसे नहीं करते और एक नई चीज मैंने बहुत सीखी थी तो किसी पर तो आजमानी थी। उससे शुरुआत की। इन लाइफ इट्स ओके, समटाइम्स पीपल आर नॉट इम्पोर्टेन्ट यू आर। और जिस दिन आप करने लगेंगे आपके सीने से वो बोझ उठ जाएगा। जो आप दूसरों पर लाद कर। बैठे बैठे तो मैं चली गई और घर जाकर मैंने मम्मी को यह सब बताया तो मम्मी ने कहा ठीक है ना यार हर दोस्त। दोस्त है जरूरी नहीं हर रिश्ते का अंत हैप्पी हो। जरूरी नहीं यह जिंदगी है। फिल्म तो है नहीं। तो ठीक है ना यार, आगे बढ जाओ, उसे छोड दो। दिल को संभाल लो। एक बात जरूर याद रखो जिंदगी में ना। कई बार लड़ना और जीतना पड़ता है खुद से खुद के लिए। थैंक यू।
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